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ब्रिक्स में आतंकवाद पर लताड़ के बाद गुहार लगाने चीन जाएंगे पाकिस्तान के विदेश मंत्री

ब्रिक्स समिट में आतंकवाद को लेकर लगी लताड़ के बाद पाकिस्तान तिलमिलाया हुआ है। इस मुद्दे पर चर्चा करने के लिए पाकिस्तानी विदेश मंत्री मोहम्मद आसिफ आज चीन जाएंगे। इससे पहले  पाकिस्तानी मंत्री आसिफ ने खुद स्वीकार किया था कि लश्कर और जैश जैसे आतंकी संगठन आतंक को ऑपरेट करने के लिए पाकिस्तान की धरती का इस्तेमाल कर रहे हैं।
आपको बता दें कि ब्रिक्स के घोषणापत्र में पहली बार पाकिस्तान के आतंकी संगठनों जैश-ए-मोहम्मद और लश्कर-ए-तैयबा का नाम शामिल किया गया था, जिसे लेकर पाकिस्तान बौखलाया हुआ है। पाकिस्तान के रक्षा मंत्री ने कहा कि पाक में किसी भी तरह का आतंकी संगठन स्वतंत्र रूप से संचालित नहीं हो रहा है।
ब्रिक्स में आतंकवाद पर लताड़ के बाद गुहार लगाने चीन जाएंगे पाकिस्तान के विदेश मंत्रीक्या चाहता है चीन ?
दरअसल, चीन चाहता है कि ब्रिक्स के घोषणापत्र में जिन मुद्दों का जिक्र किया गया है, उसपर अमल करने के लिए किस तरह की कार्रवाई की जा सकती है। हालांकि पाकिस्तान ने ब्रिक्स घोषणापत्र में लगे आरोपों को खारिज किया है और इस मुद्दे को चीन के समक्ष उठाने की तैयारी कर रहा है।

BRICS घोषणापत्र में LeT और JeM का नाम लेने पर तिलमिलाया पाकिस्तान
पाकिस्तान ने आतंकवाद पर BRICS के उस बयान को नकार दिया जिसमें कहा गया था कि पाक में आतंकवादी संगठन क्षेत्रीय सुरक्षा के लिए चिंता का विषय हैैं। पाकिस्तान के रक्षा मंत्री खुर्रम दस्तागीर खान ने जियो टीवी को बताया कि जिन संगठनों के तार पाक से जुड़े हैं हम उनको खत्म कर रहे हैं। लेकिन उन्होंने यह नहीं बताया कि वह किस संगठन की बात कर रहे हैं। लेकिन पाकिस्तान ने यह भी कहा, हम इस बात को पूरी तरह से अस्वीकार करते हैैं कि किसी भी तरह के आतंकवादी संगठन का हमारे यहां सुरक्षित आश्रय है।

ड्रैगन ने फिर मारी पलटी
ब्रिक्स सम्मेलन के घोषणापत्र में पाकिस्तान आधारित आतंकवाद जैसे मुद्दे को शामिल करके चीन ने सोमवार को वैश्विक पटल पर एक कड़ा संदेश देने की कोशिश की लेकिन इसके दो दिन बाद ही वह अपने स्टैंड पर कायम नहीं रहा। खबरों के मुताबिक जैश-ए-मोहम्मद के सरगना मसूद अजहर पर अपना रुख नहीं बदलेगा।

चीन के रुख में आए बदलाव की वजह डोकलाम विवाद ?

मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक कुछ एक्सपर्ट्स ने बताया कि चीन के रुख में आए बदलाव की वजह डोकलाम विवाद हो सकता है। जानकारों के मुताबिक इस मुद्दे पर चीन ने आम सहमति के साथ जाना पसंद किया।

खबरों के मुताबिक चीन के रुख में हुए बदलाव का मतलब ये नहीं है कि वह जैश-ए-मोहम्मद के मुखिया मसूद अजहर को लेकर अपना स्टैंड चेंज करेगा। आपको बता दें कि जैश ए मोहम्मद पर 2001 में भारतीय संसद पर हमले का आरोप है। जबकि लश्कर ए तैयबा पर मुंबई में 2008 में हुए हमले का आरोप है। इस हमले में 166 लोगों की मौत हो गई थी। 

घोषणापत्र में पहली बार पाकिस्तान के आतंकी समूहों का नाम
चीन के शियामेन में 3 से 5 सितंबर तक आयोजित 9वें ब्रिक्स शिखर सम्मेलन में आतंकवाद को लेकर दुनिया को एक कड़ा संदेश देने की कोशिश की गई और ब्रिक्स के घोषणापत्र में पहली बार पाकिस्तान के आतंकी समूहों का नाम शामिल किया गया। BRICS में जिन आतंकी संगठनों पर बात हुई उनमें जैश-ए-मोहम्मद और लश्कर-ए-तैयबा का नाम शामिल है।

घोषणापत्र में पाकिस्तान के आतंकी समूहों का नाम शामिल किए जाने के बावजूद चीन ने मसूद अजहर पर पाबंदी और कार्रवाई के मुद्दे पर चुप्पी साधे रखी। संवाददाताओं द्वारा बार-बार पूछे जाने पर सिर्फ यही जवाब मिला कि आतंकवाद के खिलाफ संघर्ष में हमारा स्टैंड स्पष्ट है।

अब तक अड़ंगा लगाता रहा है चीन
आपको बता दें कि जैश-ए-मोहम्मद के मुखिया मौलाना मसूद अजहर को संयुक्त राष्ट्र में प्रतिबंधित आतंकवादी घोषित करने में चीन अब तक अड़ंगा लगाता रहा है। अगर प्रतिबंध लगा तो अजहर की संपत्ति सीज हो जाएगी, उसकी विदेश यात्रा पर रोक लग जाएगी।

 

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