नई दिल्ली (एजेंसी)। भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के वरिष्ठ नेता लालकृष्ण आडवाणी ने गुरुवार को कहा कि पूर्ववर्ती ब्रितानी हुक्मरान नहीं चाहते थे कि विभाजन में पूरा का पूरा जम्मू एवं कश्मीर भारत को मिले। गुरुवार को अपने ब्लॉग में आडवाणी ने लिखा है ‘ब्रितानी स्पष्ट रूप से नहीं नहीं चाहते थे कि पूरा जम्मू एवं कश्मीर भारत में शामिल हो। लंदन में बड़े पैमाने पर यह धारणा थी कि यदि भारत का पाकिस्तान से सटे हिस्से पर नियंत्रण होगा तो परवर्ती का अस्तित्व बचा नहीं रह सकेगा।’’ अपने ताजा ब्लॉग में आडवाणी ने कहा है कि 1947-48 में पाकिस्तान के साथ हुए युद्ध में तत्कालीन सेनाध्यक्ष सर राय बुचर ने जम्मू एवं कश्मीर में सेना भेजने पर इस्तीफा देने की धमकी दी थी। आडवाणी ने बुचर की वेबसाइट का हवाला देते हुए कहा है कि 12 सितंबर 1948 को मंत्रिमंडल की बैठक में पाकिस्तान समर्थित कबायली हमलावरों से मुकाबले के लिए सेना भेजने पर फैसला लिया जाना था। ‘‘सी इन सी (कमांडर इन चीफ) जनरल बुचर ने उन्हें (प्रधानमंत्री को) सलाह दी कि पाकिस्तान को मिल रहे ब्रिटिश समर्थन के कारण पूरे जम्मू एवं कश्मीर पर सैन्य नियंत्रण पाना संभव नहीं है।’’ उन्होंने लिखा ‘‘जैसे ही फैसला लिया जाना था, जनरल बुचर अपने जगह से उठ खड़े हुए और कहा ‘भद्रजनों आपने एक कठिन मुद्दे पर फैसला लिया है। मैं आपको अपनी चेतावनी दे रहा हूं। हम भी कश्मीर से बंधे हुए हैं। हम यह नहीं कह सकते कि कितना समय लगेगा इसलिए हम अपने हाथों में दो अभियान नहीं ले रहे हैं। यह उचित नहीं है इसलिए आपके सी इन सी की हैसियत से मैं आपको अभियान नहीं शुरू करने के लिए कह रहा हूं।’ इसके बाद उन्होंने सलाह नहीं माने जाने पर अपने इस्तीफे की पेशकश कर दी।’’
‘‘हताश नेहरू चुप्पी लगा गए और भौंचक होकर अपने चारों ओर देखा। पटेल ने जवाब दिया ‘आप बेशक इस्तीफा दे दें जनरल बुचर लेकिन पुलिस कार्रवाई सुबह से शुरू हो जाएगी।’ क्रोधित जनरल बुचर तेजी से बाहर निकल गए और इसके बाद कश्मीर अभियान में तेजी देखी गई।’’ कश्मीर में जवानों को भेजे जाने का फैसला लेने का श्रेय भी आडवाणी ने तत्कालीन गृह मंत्री सरदार वल्लभ भाई पटेल को ही दिया है। भारतीय सेना के पहले फील्ड मार्शल सैम मानेकशॉ के एक साक्षात्कार को उद्धृत करते हुए आडवाणी कहा है कि लॉर्ड माउंटबेटन की अध्यक्षता में हुई मंत्रिमंडल की बैठक में पटेल ने नेहरू से जवानों को श्रीनगर भेजने के लिए आदेश देने की मांग की।
‘‘हमेशा की तरह नेहरू संयुक्त राष्ट्र, रूस, अफ्रीका सर्व शक्तिमान ईश्वर हर किसी की तब तक बात करते रहे जब तक पटेल अपना आपा नहीं खो बैठे। उन्होंने कहा, ‘जवाहरलाल आप कश्मीर चाहते हैं या उसे दूसरे के हाथ में जाने देना चाहते हैं?’ तब नेहरू ने कहा ‘निश्चित रूप से कश्मीर चाहता हूं।’ तब पटेल ने कहा ‘तो मेहरबानी कर अपना आदेश दीजिए’ और इससे पहले कि नेहरू कुछ बोल पाते सरदार पटेल मेरी (मानेकशा) की तरफ मुखातिब हुए और कहा ‘आपको आदेश मिल गया।’…’’