बड़ी खबर : विराट कोहली की इस बड़ी गलती से भारत को होगा बड़ा नुकसान
अनिल कुंबले ने एक और साल के लिए कोच पद के आवेदन को वापस लेकर वही किया जो कोई भी गैरतवाला इंसान करता. हालांकि, उनका यह फैसला कई सवाल भी छोड़ जाता है कि बतौर कोच जबरदस्त अनुभवों को वापस भारतीय क्रिकेट को लौटाने के लिए सिर्फ नाम ही काफी है या फिर इसके अलावा ऐसे किसी खिलाड़ी को स्टार कप्तान के सामने सलाम ठोंकना भी आना चाहिए!.
जानें क्या कहते हैं आज शुक्रवार के आपके सितारे, दिन शुक्रवार- दिनांक – 23 जून, 2017
असल में कुंबले ने कोच पद से हट कर अपना कोई नुकसान नहीं किया है. उन्होंने कप्तान विराट कोहली को भी खोल कर रख दिया है. कप्तान दो हफ्ते पहले तक तकरीबन दो सौ संवाददाताओं और सैकड़ों टीवी कैमरों के सामने दावा कर रहा था कि कोच के साथ उनके संबंध खराब होने ही बात महज एक अफवाह है.
यकीनन कप्तान की बल्लेबाजी के आत्मविश्वास के सभी कायल हैं लेकिन जिस कान्फिडेंस के साथ उन्होंने कुंबले से संबंधों के लेकर अपनी सफाई दी, वह कई सवाल खड़े करती है.
सीधे शब्दों में कहा जाए तो इस पूरे प्रकरण में खुद विराट कोहली ही हिटविकेट हुए हैं क्योंकि अगली बार वह जब भी कोई दावा करेंगे, थोड़ी शंका रह जाएगी.
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साथ ही यहां से बतौर कप्तान और बल्लेबाज उनके प्रदर्शन पर भी आलोचकों की पैनी नजर रहेगी. यह भी देखना बाकी होगा कि सचिन तेंदुलकर, सौरव गांगुली और वीवीएस लक्ष्मण वाली क्रिकेट एडवाइजरी कमेटी विराट के इस रवैये को कैसे आंकेगी. कुंबले के साथ विवाद विराट के खुद के व्यक्तित्व पर भी सवाल उठाता है.
कुंबले ने अपनी ट्वीट में कहा कि उन्हें कल ही बताया गया कि कप्तान को उनके काम करने के तरीके को लेकर दिक्कत है.
इससे साफ है कि विराट ने किसी भी तरह की दिक्कत को लेकर कभी कुंबले से कभी सीधे बात करने की जरुरत नहीं समझी बल्कि बीसीसीआई और सुप्रीम कोर्ट की प्रशासक कमेटी से कोच को हटाने के लिए कह दिया.
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यह सीधे तौर पर विराट की हावी होने और घंमड की प्रवृति को जाहिर करता है. ऐसा भी नहीं कि विराट बहुत ही शर्मीले हैं और उनके लिए कुंबले के सामने जाकर अपनी बात रखना आसान नहीं था.
अगर विराट अरबों रुपये के विज्ञापनों में एक्टिंग करने के बाद भी इतना कान्फिडेंस नहीं बना पाए तो जाहिर है कि उनके साथ एक नहीं, कई दिक्कतें हैं और इन दिक्कतों का शिकार सिर्फ कुंबले ही नहीं हुए हैं, आने वाले अगले कोच भी होंगे. बेशक वे विराट की पैरवी पर ही क्यों न कोच बनाए गए हो.
जाहिर है कि विराट ने भारतीय क्रिकेट में एक बड़े और असाधारण क्रिकेटर का विकेट लिया है और यहां से उन्हें खुद अपना विकेट बचाने के लिए असाधारण क्रिकेट खेलना होगा. क्रिकेट में व्यक्तिगत आंकडों के ज्यादा मायने नहीं है अगर आपकी टीम इतिहास में शामिल होने वाले मैचों में बच्चों के रेत के घर की तरह ढह जाए.
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विराट एक नायाब बल्लेबाज हैं, इसमें कोई दोराय नहीं है. 2015 से लेकर उनके चैंपियंस ट्रॉफी की आखिरी पारी तक विराट 38 वनडे खेल चुके हैं जिनमें उन्होंने सात बेहतरीन शतक बनाए हैं. नौ फिफ्टी भी हैं उनकी. वह 12 बार दस के भी कम रह पर आउट हुए हैं.
यह आंकड़े किसी भी बड़े बल्लेबाज के रिकॉर्ड का हिस्सा हो सकते हैं. लेकिन कुछ नबंर ऐसे भी हैं जो विराट से सवाल करते हैं. क्या विराट कोहली बड़े मैचों में टीम के लिए रन बना कर उसे जीताने में सक्षम हैं.
इस बहस को शुरु करने के लिए 2015 विश्व कप के सेमीफाइल में आस्ट्रेलिया के खिलाफ सिडनी क्रिकेट ग्राउंड चलते हैं.
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टीम को फाइनल में पहुंचने और अपना ताज बचाने के लिए ऑस्ट्रेलिया के 328 रनों के पहाड़ पर चढ़ना था. विराट से उस दिन लंबी और जिम्मेदारी भी पारी की दरकार थी लेकिन वह लापरवाही भरा शॉट खेल कर महज 1 रन पर आउट हो गए.
यकीनन चैपिंयस ट्रॉफी में मोहम्मद आमिर ने बेहतरीन बॉलिंग से विराट का विकेट लिया. लेकिन इस बड़े मैच में वह आउट होने से एक गेंद पहले ड्रॉप भी हुए.