नई दिल्ली। पांच राज्यों में विधानसभा चुनाव के बाद से ईवीएम मशीनों में गड़बड़ी की बातें सामने आ रही हैं। विपक्ष लगातार EVM मशीनों को लेकर बीजेपी को घेर रहा है। यूपी में बसपा प्रमुख मायावती ने तो यहां तक कह दिया कि ईवीएम में जिसको भी वोट डालो वोट बीजेपी को ही जाता है। लेकिन अब सरकार ने बड़ा फैसला लिया है जिससे विपक्ष का मुंह बंद हो जाएगा। केंद्रीय कैबिनेट ने बुधवार को चुनाव आयोग के नए वोटर वेरिफिएबल पेपर ऑडिट ट्रायल (VVPAT) की खूबी से लैस ईवीएम मशीनों की खरीद को मंजूरी दे दी है।
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कैबिनेट ने इससे पहले दो बार चुनाव आयोग को नई वोटिंग मशीनें खरीदने के लिए पैसा आवंटित किया है। जून 2014 से अब तक चुनाव आयोग नई वीवीपीएटी मशीनों की खरीद के लिए 11 बार केंद्र सरकार को रिमाइंडर भेज चुका है।
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पिछले साल केंद्रीय चुनाव आयुक्त नसीम जैदी ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को खत लिखकर इन मशीनों के लिए फंड के लिए बोला था। सुप्रीम कोर्ट ने आयोग से एक अस्थायी समय सीमा पूछते हुए यह बताने को कहा था कि वह कब तक सभी पोलिंग स्टेशनों पर वीवीपीएटी मशीनों का इस्तेमाल शुरू कर देगा।
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मुख्य चुनाव आयुक्त नसीम जैदी ने ‘मौजूदा माहौल’ का हवाला देते हुए सरकार से आग्रह किया था कि वह पेपर ट्रेल मशीनों की समयबद्ध खरीद के लिए तत्काल धन जारी करे ताकि 2019 के लोकसभा चुनाव में इन मशीनों का इस्तेमाल किया जा सके। कानून मंत्री रविशंकर प्रसाद को लिखी ताजा चिट्ठी में जैदी ने यह भी कहा था कि अवमानना याचिका की सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने आयोग को वह समयसीमा बताने का निर्देश दिया है, जिसके भीतर वीवीपीएटी की पूरी प्रणाली अमल में लाई जाएगी।
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देश के 16 दलों ने हाल ही में अधिक पारदर्शिता लाने के लिए मतपत्र वाली व्यवस्था फिर शुरू करने का आग्रह किया था। अपने पत्र में जैदी ने यह याद दिलाया था कि वे पहले ही सरकार को सूचित कर चुके हैं कि वीवीपीएटी की आपूर्ति के लिए आॅर्डर फरवरी, 2017 तक नहीं दिया गया तो ‘सितंबर, 2018 तक वीवीपीएटी की आपूर्ति के लिए इन मशीनों का विनिर्माण मुश्किल होगा’।