हासीमारा (पश्चिम बंगाल) : राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने आज कहा कि शांति के प्रति भारत पूरी दृढ़ता से प्रतिबद्ध है लेकिन अपनी सम्प्रभुता की रक्षा सुनिश्चित करने के लिए वह पूरी सैन्य ताकत लगाने को हमेशा तैयार है।
भारतीय वायु सेना के इन दोनों स्क्वाड्रन को सम्मानित करने के बाद राष्ट्रपति ने कहा, ‘राष्ट्रों के बीच भारत का महत्व हमारे सशस्त्र बलों की क्षमताओं के कारण बढ़ा है। हम हालांकि शांति के लिए प्रतिबद्ध हैं, हम राष्ट्र की सम्प्रभुता की सुरक्षा के लिए हमारी पूरा ताकत का उपयोग करेंगे। मुझे विश्वास है कि सेना में हमारे वीर पुरूष एवं महिलाएं इस अवसर पर एकजुट होंगे।’
राष्ट्रपति ने भारतीय वायु सेना की सराहना करते हुए इसे देश की सैन्य शक्ति की विशेषता बताया। उन्होंने महिला एवं पुरूष सैन्यकर्मियों की प्रशंसा करते हुए कहा कि सशस्त्र बल, हमारे वायु योद्धाओं से परिलक्षित होता है जो हमारे लिये चौकस रहते हैं और हमारे हितों की सुरक्षा के संकल्प को प्रदर्शित करते हैं।
सशस्त्र बलों की इकाइयों को एक समयकाल में अभूतपूर्व एवं समर्पित सेवा प्रदान करने के लिए राष्ट्रपति मानक प्रदान किया जाता है। दोनों इकाइयों को पिछले 50 वर्षों से ऐसी सेवा प्रदान करने के लिए यह सम्मान प्रदान किया गया। 18वें स्क्वाड्रन को ‘फ्लाइंग बुलेट’ कहा जाता है और इसका गठन 1965 में अंबाला में किया गया था, जबकि 22वें स्क्वाड्रन का गठन 1966 में बरेली में किया गया था और इसके बाद से यह हासीमारा वायु सेना अड्डे पर स्थित है।
प्रणब मुखर्जी ने कई मानवीय त्रासदियों एवं आपदाओं में राहत अभियान चलाने के लिए भारतीय वायु सेना की भूमिका की सराहना की, विशेष तौर पर 2013 में उत्तराखंड प्राकृतिक आपदा और इस वर्ष अप्रैल में नेपाल में भूकंप के दौरान के अभियानों की।
वायु सेना और इन दोनों इकाइयों की सराहना करते हुए राष्ट्रपति ने कहा, ‘देश को आप पर गर्व हैं।’ आज जिन दो इकाइयों को सम्मानित किया गया है उन्होंने 1971 में भारत.पाक युद्ध में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी। 18वां स्क्वाड्रन सर्वोच्च सैन्य सम्मान परमवीर चक्र प्राप्त करने वाली एकमात्र इकाई है, जिसके फ्लाइंग आफिसर एन जे एस शेखों को उत्कृष्ठ कार्य के लिए प्रदान किया गया था जिन्होंने पाकिस्तानी वायु सेना के लड़ाकू विमान ‘साबरी’ को गिराया था।