आजकल देश में फिल्म ‘न्यूटन’ की ही हर जगह चर्चा है. चर्चा का कारण भी खास है. दरअसल फिल्म को ऑस्कर अवॉर्ड के लिए नॉमिनेट किया गया है. सभी राजकुमार राव, आनंद एल राय, अमित मसूरकर को बधाई देने में व्यस्त हैं, लेकिन फिल्म में एक और एक्टर अहम रोल में है.
यहां बात हो रही है रघुवीर यादव की. यह उनकी 8वीं फिल्म है, जो ऑस्कर के लिए नॉमिनेट हुई है.
अगर आप इन्हें पहचान नहीं पाए हैं, तो बता दें कि ये ‘लगान’ फिल्म के ‘भूरा’ और फिल्म ‘बैंडिट क्वीन’ के ‘माधो’ हैं.
अब तक रघुवीर की 8 फिल्में ऑस्कर्स में गई हैं, जिनमें सलाम बॉम्बे (1985), रुडाली (1993), बैंडिट क्वीन (1993), 1947 अर्थ (1999), लगान (2001), वाटर (2005), पिपली लाइव (2010) और न्यूटन (2017) के नाम शामिल हैं.
हालांकि रघुवीर अवॉर्ड्स पर ज्यादा ध्यान नहीं देते. उन्होंने पीटीआई को कहा- ‘मैंने कभी इन चीजों के बारे में नहीं सोचा, ना ही हिसाब लगाया, क्योंकि मेरा पूरा ध्यान बतौर अभिनेता अपना सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन करने पर रहा. मैं ऑस्कर के लिए फिल्म के जाने पर ध्यान नहीं देता, मुझे लगता है कि यदि फिल्म अच्छी होगी तो इसे वह प्यार और मान्यता मिलेगी, जिसकी वह हकदार है.’
उन्होंने कहा कि वह अपने किरदार के चयन को लेकर सजग रहते हैं और उन फिल्मों को तव्वजो देते हैं जिनके बारे में उन्हें लगता है कि यह दर्शकों पर प्रभाव छोड़ेगी. यदि फिल्म अच्छी है तो यह कहीं भी जाए, चाहे यह ऑस्कर हो या अन्य पुरस्कार. जब पटकथा अच्छी होती है तो किसी को भी यह आइडिया मिल जाता है कि यह व्यवसायिक स्तर पर, या पुरस्कार के लिए और अंतराष्ट्रीय स्तर पर वाहवाही बटोर लेगी. एक निर्देशक की संवेदनशीलता सबसे ज्यादा मायने रखती है.