भारत की सामुद्रिक शक्ति की चीन ने उड़ाई खिल्ली
बीजिंग : अरूणाचल प्रदेश और अरूणाचल प्रदेश में तिब्बती धर्म गुरू दलाई लामा की यात्रा का विरोध करने वाले चीन के मीडिया ने भारत का विरोध किया है। नौसेना की 68 वें स्थापना दिवस के अवसर पर चीन के मीडिया ने भारतीय नौसेना को कमतर बताया है। मिली जानकारी के अनुसार चीन के एक समाचार पत्र ने भारत को सलाह दी है और कहा है कि हिंद महासागर में विमान वाहक के निर्माण की प्रक्रिया को तेज करने से ज्यादा ध्यान भारत को अपने आर्थिक विकास पर देना चाहिए।
दरअसल सरकारी समाचार पत्र ग्लोबल टाइम्स में लेख प्रकाशित किया गया था, जिसमें बताया गया था विमान वाहक के लिए भारत बहुत उत्सुक है। उसे विमान वाहक तैयार करने में कई तरह की टेक्निकल परेशानियों का सामना करना होगा। चीन द्वारा अपने समुद्री बेडे की रक्षा हेतु नौसेना को सुदृढ़ किया जा रहा है। चीन द्वारा विमानवाहक पोत का निर्माण आर्थिक विकास के चलते हुआ है।
समाचार पत्र ने अपने लेख में लिखा कि चीन ने 1912 में ही अपने पहले विमानवाहक पोत का विकास कर लिया था। हालांकि भारत का दावा है कि शिपिंग टेक्नोलाॅजी में उसने संतोषप्रद काम किया है। वह तकनीकी तौर पर दक्ष है। गौरतलब है कि 1971 के भारत और पाकिस्तान के युद्ध में आईएनएस विक्रांत की महत्वपूर्ण भूमिका रही. इसे 1957 में खरीदा गया था।
उक्त पोत 1997 में नौसेना से सेवा मुक्त किया गया। भारतीय सेना ने रूस से एडमिरल गोर्शकोव की खरीदी की थी। इसमें उसने बदलाव किया और फिर उसने आईएनएस विक्रांत का निर्माण भी किया। भारत के पास आईएनएस विक्रमादित्य भी है जिसे देखकर दुश्मन ही दहलने लगता था।