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भारत के 69.68 रुपये के बराबर हुए पाकिस्तान के 144 रुपये

पाकिस्तान की करेंसी में गुरुवार को डॉलर के मुकाबले अब तक की सबसे बड़ी गिरावट दर्ज की गई। शुक्रवार को इमरान खान सरकार के 100 दिनों की उपलब्धियों का जश्न मनाने के बीच ही पाकिस्तान का रुपया डॉलर के मुकाबले 144 के स्तर पर लुढ़क गया, जो यह इसका अबतक का सबसे निचला स्तर है। इंटर-बैंक ट्रेडिंग में पाकिस्तानी रुपया 10 रुपये टूट गया। गुरुवार को यह 134 रुपये के स्तर पर कारोबार कर रहा था। शुक्रवार के कारोबार में यह 142 रुपये पर खुला और इसके बाद 2 रुपये और कमजोर होकर यह 144 रुपये पर फिसल गया।

नई दिल्ली: विदेशी मुद्रा संकट से जूझ रहे पाकिस्तान की मुद्रा शुक्रवार को अब तक के सबसे निचले स्तर तक गिर गई। एक डॉलर के मुकाबले पाकिस्तानी रुपये की विनिमय दर 144 रुपये प्रति डॉलर के रिकॉर्ड निचले स्तर पर पहुंच गई। जबकि भारतीय रुपया 69.68 के करीब है। इसमें एक माह में पांच रुपये की मजबूती आई है। पाकिस्तानी रुपये में यह गिरावट पाकिस्तान की इमरान खान के नेतृत्व वाली नई सरकार के सत्ता में 100 दिन पूरे होने के एक दिन बाद आई है। इमरान खान की सरकार इन सौ दिनों में देश में निवेश बढ़ाने और उसे विकास के रास्ते पर लाने की उपलब्धि गिना रही है। गुरुवार को डॉलर के मुकाबले पाकिस्तानी रुपया 134 पर बंद हुआ। दिन में कारोबार के दौरान मुद्रा विनिमय बाजार में शुक्रवार को यह 10 रुपये और टूट गया। शुक्रवार को शुरुआती कारोबार में यह 142 के स्तर पर खुला लेकिन दिन में और दो रुपये टूटकर 144 के स्तर तक गिर गया। स्टेट बैंक ऑफ पाकिस्तान के एक अधिकारी ने कहा कि बाजार में संकट है और खरीदारी चल रही है, लेकिन यह चिंता का विषय है। यह माना जा रहा है कि अंतर्राष्‍ट्रीय मुद्रा कोष (IMF) के साथ पाकिस्तान सरकार की चल रही बातचीत से रुपये के डिवैल्युएशन का संबंध है। हाल ही में नकदी संकट से ग्रस्त पाकिस्तान ने बेलआउट पैकेज के लिए आईएमएफ के साथ बातचीत की है, जिसमें आईएमएफ ने चीनी फाइनेंशिल समर्थन का खुलासा करने, बिजली की दरें बढ़ाने और नए टैक्स लगाने जैसी शर्तें रखी हैं। स्टेट बैंक ऑफ पाकिस्तान ने कहा, बाजार में अफरा-तफरी का माहौल और डॉलर लिवाली का जोर है, लेकिन इसका समाधान कर लिया जाएगा। माना जा रहा है कि सरकार के अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष से ऋण लेने पर चल रही बातचीत को देखते हुए यह गिरावट आई है। एक्सचेंज कंपनीज एसोसिएशन ऑफ पाकिस्तान (ECAP) के जनरल सेक्रेटरी जफ्फर पराचा ने कहा, आईएमएफ के साथ किसी भी समझौते से पहले अवमूल्यन की उम्मीद थी। प्रधानमंत्री इमरान खान ने गुरुवार को अपनी सरकार के 100 दिन का कार्यकाल पूरा करने पर जनता को संबोधित करते हुए कहा था कि निवेशक देश में निवेश करने के लिए आगे आ रहे हैं, जिससे विकास अपनी सही दिशा में आगे बढ़ रहा है, लेकिन मुद्रा बाजार में इसका उल्टा ही असर दिखाई पड़ा। विदेशी मुद्रा संकट से जूझ रहे पाकिस्तान ने हाल ही में मुद्रा कोष से राहत पैकेज की मांग की है। इस पर मुद्रा कोष ने पाकिस्तान से चीन से मिलने वाली वित्तीय सहायता की पूरी जानकारी मांगी है। इसके साथ ही अर्थव्यवस्था की मजबूती के वास्ते ईंधन के दाम बढ़ाने और कर दरों में वृद्धि करने को कहा है। पाकिस्तान की एक्सचेंज कंपनियों के संघ के महासिचव जफर प्राचा ने कहा कि आईएमएफ के साथ कोई भी समझौता होने से पहले गिरावट जारी रहने की उम्मीद है। जल संसाधन मंत्री फैजल वाडा ने कहा कि रुपए के अवमूल्यन में ब्लैक मार्केटिंग एक प्रमुख कारण है। उन्होंने कहा कि जब हम सरकार में आए तक डॉलर की ब्लैक मार्केटिंग अपने चरम पर थी और यह अभी भी चरम पर बनी हुई है। उन्होंने कहा कि सरकार के प्रयासों से आगे आने वाले दिनों में रुपया मजबूत होगा। वित्तीय विश्लेषक जुबैर सलीम ने कहा कि अचानक रुपए में इतनी ज्यादा गिरावट आना बिजनेस समुदाय विशेषकर आयातकों के लिए अच्छा संकेत नहीं है। इससे देश का आयात बिल बढ़ेगा और डॉलर के मुकाबले रुपया और कमजोर होगा। अगस्त में मौजूदा सरकार के सत्ता में आने के बाद से यह दूसरा अवमूल्यन था। 9 अक्टूबर को डॉलर के 11.70 रुपये मजबूत होने से मार्केट में चिंता बढ़ गई थी, लेकिन अंत में 134 रुपये पर बंद हुआ था। इससे पहले, जून और जुलाई में कार्यवाहक सरकार के दौरान रुपये में भारी गिरावट आई थी और 102 रुपये से गिरकर 130 रुपये प्रति डॉलर पर आ गया था।

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