भारत के विरोध को नजरअंदाज कर US सरकार ने एफ-16 पर फैसले को उचित ठहराया
दस्तक टाइम्स एजेंसी/वाशिंगटन : भारत के सख्त विरोध से सहमत नहीं होते हुए ओबामा प्रशासन ने पाकिस्तान को आठ एफ-16 लड़ाकू विमान बेचे जाने के अपने कदम को उचित ठहराते हुए दावा किया कि ये पाक के आतंकवाद रोधी अभियानों के लिए बहुत जरूरी हैं।
इससे पहले दिन में विदेश सचिव एस जयशंकर ने अमेरिकी राजदूत रिचर्ड वर्मा को नई दिल्ली में तलब किया ताकि अमेरिकी फैसले पर उन्हें भारत की परेशानी से अवगत कराया जा सके। भारतीय विदेश मंत्रालय ने एक बयान में कहा है कि हम एफ-16 विमान पाकिस्तान को बेचे जाने की अधिसूचना के बारे में ओबामा प्रशासन के फैसले से हताश हैं। हम उनके इस तर्क से सहमत नहीं हैं कि ऐसे हथियारों के हस्तांतरण से आतंकवाद से लड़ने में मदद मिलेगी। इस सिलसिले में पिछले कई साल के रिकार्ड खुद ब खुद बोलते हैं।
अमेरिकी विदेश विभाग ने 70 करोड़ डॉलर में आठ एफ-16 विमान पाकिस्तान को बेचे जाने संबंधी 11 फरवरी को इस फैसले को अधिसूचित किया था। सीनेट की विदेश मामलों की समिति के अध्यक्ष सीनेटर बॉब क्रूकर ने पहले ही पाकिस्तान को इसे बेचे जाने को रोके जाने के कदम को बाधित करने की प्रतिबद्धता जतायी थी।
अमेरिकी विदेश विभाग के अधिकारी ने बताया कि पाकिस्तान के आतंक रोधी और चरमपंथ रोधी अभियानों का समर्थन करने के लिए एफ 16 सही मंच है। ओबामा प्रशासन का फैसला ऐसे वक्त आया है जब भारत पठानकोट आतंकी हमला और मुबई हमला को अंजाम देने वालों के खिलाफ कार्रवाई के लिए जोर दे रहा है। अपने बयान में मुंबई हमलों के दोषी डेविड कोलमैन हेडली ने अमेरिका से वीडियो लिंक के जरिए मुंबई की एक अदालत को बयान दिया है कि लश्कर ए तैयबा, जैश ए मोहम्मद को धन, सैन्य मदद पाकिस्तानी खुफिया एजेंसी आईएसआई से मिली थी।