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भारत-चीन सीमा पर बेहतर संवाद के लिए हॉटलाइन

Chinese soldiers guard Nathu La mountain pass, between Tibet and northeastern Indian state of Sikkimबीजिंग (एजेंसी)। बीजिंग की तीन दिवसीय यात्रा के दौरान भारतीय प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने बुधवार को चीनी प्रधानमंत्री ली केकियांग के साथ दोनों देशों की सीमा पर शांति स्थापित करने के उद्देश्य से एक अहम समझौते पर हस्ताक्षर किए। इस समझौते के तहत दोनों देशों के सैनिक एक-दूसरे के गश्ती दलों का पीछा नहीं करेंगे तथा आमने-सामने की स्थिति में दोनों देशों के सैनिक अधिकतम संयम बरतने का प्रयास करेंगे। मनमोहन और ली की बुधवार को बैठक के बाद सीमा रक्षा सहयोग समझौते (बीडीसीए) पर हस्ताक्षर किए गए। इस समझौते में दोनों देशों की सेनाओं के मुख्यालयों के बीच एक हॉटलाइन स्थापित करने पर भी सहमति बनी है।इस हॉटलाइन का उपयोग एकदूसरे की सैनिक गतिविधियों के बारे में स्पष्टीकरण प्राप्त करने तथा सैनिकों के बीच मैत्रीपूर्ण संवाद स्थापित करने में किया जाएगा। भारत के रक्षा सचिव आर. के. माथुर और चीन की ‘पीपुल्स लिबरेशन आर्मी’ के उपाध्यक्ष लेफ्टिनेंट जनरल सुन जियांगुओ ने इस सीमा रक्षा सहयोग समझौते पर हस्ताक्षर किए। इस समझौते में भारत और चीन के बीच 4,000  किमी. लंबाई में विस्तृत वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) पर शांति  सौहाद्र्र एवं स्थायित्व बरकरार रखने के लिए कुल 10 प्रावधान रखे गए हैं।समझौते में कहा गया है कि कोई भी पक्ष दूसरे पक्ष के खिलाफ अपनी सैन्य शक्ति का इस्तेमाल नहीं करेगा  और न ही अपनी संबंधित सैन्य शक्ति का दूसरे पक्ष पर हमला करने के लिए इस्तेमाल करेगा। समझौते के तहत दोनों देशों की सीमा पर शांति स्थापित करने के लिए इससे पहले प्रयुक्त की जा रही प्रणाली को एकसाथ लाया गया है। भारत-चीन सीमा पर अक्सर घुसपैठ होती रहती है, जो विशेष तौर पर चीनी सैनिकों द्वारा की जाती है तथा भारत के लिए चिंता का सबब बनी रहती है।दोनों देशों ने समझौते में सैन्य अभ्यासों से संबंधित एवं गैर चिन्हित बारूदी सुरंगों या विमानों से जुड़ी सूचना के आदान-प्रदान पर सहमति बनी है। इसके अलावा वन्यजीवों एवं अन्य प्रतिबंधित पदार्थों की तस्करी से संबंधित गैर सैन्य गतिविधियों की जानकारी साझा करने पर भी दोनों देशों में सहमति बनी।भारतीय राजदूत एस. जयशंकर के मुताबिक दोनों देशों के बीच बैठकों की संख्या एवं स्तर में वृद्धि की जाएगी,  जो सीमा स्तर से सैन्य अधिकारियों के स्तर तक और कमांड स्तर से संबंधित मंत्रालयों के स्तर तक विस्तृत होगी।दोनों देशों द्वारा सीमा पर शांति के लिए मौजूदा प्रणालियां भी सुचारू रूप से काम करती रहेंगी, जिनमें ‘भारत-चीन सीमा मामलों पर परामर्श एवं समन्वय के लिए कार्यतंत्र’ तथा ‘भारत और चीन के बीच रक्षा वार्ता के लिए वार्षिक बैठक’ शामिल हैं।

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