भारत बनाएगा दुनिया का सबसे ऊँचा रेलवे ट्रैक, चीन से भी होगा ऊँचा
500 किमी लेह-मनाली हाईवे बर्फबारी के चलते सात महीने के लिए देश और दुनिया से कटा रहता है। यहां पर रोहतांग पास के अलावा, बारालाचा, तंगलंगला, दारचा, केलांग जैसे स्थानों पर भारी बर्फ गिरती है और हाईवे पूरी तरह से बंद हो जाता है। तो अब ऐसा नहीं होगा क्योकि हिमाचल प्रदेश के बिलासपुर जिले से लेह तक बनने वाली रेल लाइन के लिए सर्वे पूरा हो गया है। रेलवे अधिकारियों ने बुधवार को दिल्ली में प्रेस कॉन्फ्रेंस कर यह जानकारी दी है। रेलवे के अधिकारियों ने बताया कि इस पूरे प्रोजेक्ट पर 83 हजार 360 करोड़ की लागत का अनुमान है। यह प्रोजेक्ट रणनीतिक लिहाज से देश का सबसे महत्वपूर्ण प्रोजेक्ट है।
नई दिल्ली: रेलवे ने प्रस्तावित किया है कि भारत-चीन सीमा से लगती इसकी सामरिक रूप से महत्वपूर्ण बिलासपुर-मनाली-लेह लाइन को राष्ट्रीय परियोजना घोषित किया जाना चाहिए। यह विश्व का सबसे ऊंचा रेल मार्ग होगा। जानकारी के अनुसार, बिलासपुर से शुरू होने वाली इस रेल लाइन पर दुनिया का सबसे ऊंचे ट्रैक में से एक होगी। चीन की तिब्बत में बिछाई गई रेल लाइन भी इससे नीचे होगी। 465 किलोमीटर लंबे रेल मार्ग पर 244 किलोमीटर तक सुरंगे बनेंगी। कुल 74 टनल्स में से सबसे लंबी टनल 27 किलोमीटर की रहेगी। रेलवे अधिकारियों ने बताया कि बिलासपुर से लेह तक 30 रेलवे स्टेशन बनाएं जाएंगे।हिंदुस्तान में पहली बार सुरंग के अंदर रेलवे स्टेशन बनाया जाएगा, जो कि लाहौल स्पीति के केलांग में निर्मित किया जाएगा। इस रेल मार्ग पर 124 बड़े पुल और 396 छोटे पुलों का निर्माण होगा। इस रेलमार्ग के बनने से दिल्ली से लेह बनने तक बीस घंटे की बचत होगी। फिलहाल दिल्ली से लेह तक सड़क मार्ग के जरिये 36 घंटे लगते हैं। साथ ही सेना को लेह तक और चीन बॉर्डर तक पहुंचने में आसानी रहेगी। सामरिक दृष्टि से यह मार्ग सेना के लिए काफी अहम है। रेलवे लाइन से हिमाचल के स्टेशन जम्मू से जुड़ेंगे, इसमें हिमाचल में मंडी, मनाली, केलांग, कोकसर, दारचा और जम्मू एवं कश्मीर के उपसी और कारू शामिल हैं। इस रेल मार्ग पर ट्रेन जोखिम भरे दुर्गम और उबड़-खाबड़ इलाकों से गुजरेगी, जहां पर कई जगह ऑक्सीजन की भी कमी रहेगी। ऐसे में स्पेशल डिब्बे डिजाइन होंगे, ताकि यात्रियों को भी कोई दिक्कत ना हो। यह कार्य तीन चरणों में पूरा किया जाएगा। पहले फेस में डिजिटल माध्यम से मॉडलों का मूल्यांकन होगा, दूसरे फेज में बेहतर अलाइनमेंट को लेकर काम होगा। तीसरे फेज में पुल और सुरंगों की एक परियोजना रिपोर्ट बनेगी। इसमें अधिकतर पुल और सुरंगे होंगी। फिलहाल इस मार्ग में 74 सुरंग में प्रस्तावित हैं और 124 बड़े पुल और 396 छोटे पुलों का निर्माण किया जाएगा। 500 किमी लेह-मनाली हाईवे बर्फबारी के चलते सात महीने के लिए देश और दुनिया से कटा रहता है। यहां पर रोहतांग पास के अलावा, बारालाचा, तंगलंगला, दारचा, केलांग जैसे स्थानों पर भारी बर्फ गिरती है और हाईवे पूरी तरह से बंद हो जाता है। रोहतांग पास से आगे वाहनों की आवाजाही बंद हो जाती है। हिमाचल में रेलवे के विकास के लिए वर्ष 2018-19 के केंद्रीय बजट में 422 करोड़ रुपये का प्रावधान किया गया। जिसे प्रस्तावित चार रेल परियोजनाओं पर खर्च किया जाएगा। इस बजट में सबसे ज्यादा 120 करोड़ रुपए चंडीगढ़-बद्दी रेल लाइन (33.23 किमी), 120 करोड़ ही भानुपल्ली-बिलासपुर-बेरी रेलवे लाइन (63.1 किमी) के लिए दी गई है। नंगल बांध-तलवाड़ा रेलवे लाइन (83.74 किमी) पर खर्च होंगे। वहीं 80 करोड़ ऊना-हमीरपुर रेलवे लाइन (50 किमी) 102 करोड़ खर्च किए जाएंगे। फिलहाल केवल दिल्ली से ऊना के लिए ही ब्रोडगेज लाइन है, जो अम्ब तक जाती है। इसके साथ ही पठानकोट-जोगिंद्रनगर और कालका-शिमला नेरौगेज रेलवे लाइन चालू है। अधिकारियों ने बुधवार को बताया कि रेलवे ने यह सुझाव भी दिया है कि हिमाचल प्रदेश के उप्शी और लेह के फे के बीच 51 किलोमीटर लंबी पट्टी पर तत्काल निर्माण शुरू होना चाहिए। उत्तर रेलवे के महाप्रबंधक विशेष चौबे ने कहा, ‘‘परियोजना के लिए सर्वेक्षण का पहला चरण पूरा हो गया है और 465 किलोमीटर लंबी लाइन पर लागत का प्रारंभिक आकलन 83,360 करोड़ रुपये का है। रेलवे की यह सबसे कठिन परियोजना है और यह सामरिक महत्व के लिहाज से पांच सर्वाधिक महत्वपूर्ण परियोजनाओं में से एक है। हमने सुझाव दिया है कि परियोजना को राष्ट्रीय परियोजना के रूप में घोषित किया जाए क्योंकि इसके पूरा हो जाने पर इससे हमारे सशस्त्र बलों को मदद मिलेगी, पर्यटन को बढ़ावा मिलेगा और क्षेत्र का विकास होगा।’’ किसी परियोजना को राष्ट्रीय परियोजना घोषित किए जाने का यह लाभ होता है कि परियोजना के लिए अधिकांश वित्तीय मदद केंद्र सरकार द्वारा वहन की जाती है। परियोजना में समुद्र तल से 5360 मीटर ऊपर सर्वाधिक ऊंचा सड़क बिन्दु होगा। इसकी तुलना केवल चीन की किंघाई-तिब्बत रेल लाइन से की जा सकती है जो समुद्र तल से लगभग दो हजार मीटर ऊपर है। लेह से भाजपा सांसद थुपस्तन छेवांग ने सितंबर में रेल मंत्रालय को पत्र लिखकर परियोजना को राष्ट्रीय परियोजना का दर्जा देने की मांग की थी।