नई दिल्ली : चीन के सामानों का भारत में भरमार है, दूसरी तरफ चीन के बाजार में भारतीय सामानों पर प्रतिबन्ध है। बीते 27-28 अप्रैल को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी वुहान में चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग से मिले तब भी इस मसले पर बातचीत के बाद कुछ ठोस नतीजे की उम्मीद थी, लेकिन ऐसा हुआ नहीं। चीन की बेरुखी की वजह से उसके साथ भारत का व्यापार घाटा लगातार बढ़ता जा रहा है। वित्त वर्ष 2016-17 में यह आंकड़ा बढ़कर 71.45 अरब डॉलर (करीब 47 खरब 60 अरब रुपए) तक पहुंच गया। भारत ने चीन को जहां 10.17 अरब डॉलर (करीब 6 खबर 77 अरब रुपए) मूल्य का सामान निर्यात किया तो चीन से यहां 61.28 अरब डॉलर (करीब 40 खरब 82 अरब रुपए) मूल्य का सामान आया।
गौरतलब है कि 5.3 अरब डॉलर (करीब 3 खरब 33 अरब रुपए) का चावल भारत निर्यात करता है, लेकिन चीन भारत से चावल आयात नहीं करता। जबकि चीन हर साल 1.5 अरब डॉलर (करीब 99 अरब रुपए) का चावल विदेशों से खरीदता है। भारत हर साल 3.68 अरब डॉलर (करीब 2 खरब 45 अरब रुपए) की कीमत के भैंसों का मांस निर्यात करता है, लेकिन चीन भारत से भैंसे का मांस आयात नहीं करता। वहीँ अन्य देशों से वह 2.45 अरब डॉलर (करीब 1 खरब 63 अरब रुपए) कीमत का भैंसे का मांस आयात करता है। भारत में बनीं दवाइयां दुनिया में निर्यात होती हैं। हर साल भारत को दवाइयों के निर्यात से 10 करोड़ 95 लाख डॉलर (करीब 7 अरब 29 करोड़ रुपए) का राजस्व प्राप्त होता है और चीन भी हर साल 62 करोड़ 50 लाख डॉलर (करीब 41 अरब 63 करोड़ रुपए) की दवाइयां विदेशों से खरीदता है, लेकिन भारत से वह एक रुपए की भी दवाई नहीं खरीदता। भारत सालाना 12 करोड़ 10 लाख डॉलर (करीब 8 अरब रुपए) मूल्य के एल्युमिनियम एलॉय का निर्यात करता है जबकि चीन अपने 87 करोड़ 40 लाख डॉलर (करीब 58 अरब रुपए) मूल्य के एल्युमिनियम एलॉय के आयात में से भारत से सिर्फ 2 लाख डॉलर (करीब 1 करोड़ 30 लाख रुपए) का ही आयात करता है। यानी यहां भी लगभग नाकाबंदी।