भारत में टिक—टॉक बैन के बाद अमेरिका में भी उठने लगी मांग
वॉशिंगटन : चीनी ऐप पर प्रतिबंध की चर्चा अमेरिका में भी हो रही है और कुछ सांसद इसका समर्थन कर रहे हैं। इन सासंदों ने अमेरिकी सरकार से इस पर विचार करने की अपील की है क्योंकि ऐसा माना जाता है कि छोटे-छोटे वीडियो शेयर करने वाले ऐप किसी भी देश की सुरक्षा के लिए गंभीर खतरा हैं। रिपब्लिकन पार्टी के सीनेटर जॉन कॉर्निन ने द वॉशिंगटन पोस्ट में छपी एक खबर को टैग करते हुए अपने ट्वीट में कहा, ‘खूनी झड़प के बाद भारत ने टिकटॉक और दर्जनों चीनी ऐप पर प्रतिबंध लगा दिया।’ वहीं रिपब्लिकन पार्टी के ही सांसद रिक क्रोफोर्ड ने कहा, ‘टिकटॉक को जाना ही चाहिए और इसे तो पहले ही प्रतिबंधित कर देना चाहिए था।’ पिछले हफ्ते अमेरिका के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार रॉबर्ट ओ ब्रायन ने आरोप लगाया था कि चीनी सरकार टिकटॉक का इस्तेमाल अपने उद्देश्यों के लिए कर रही है।
अमेरिकी संसद में कम से कम वैसे दो विधेयक लंबित हैं जिनमें संघीय सरकारी अधिकारियों को अपने फोन पर टिकटॉक का इस्तेमाल करने से रोकने के प्रावधान हैं। इससे लगता है कि भारत के कदम के बाद अमेरिका में टिकटॉक पर प्रतिबंध की मांग जोर पकड़ सकती है। हॉन्ग कॉन्ग की सड़कों पर ब्रिटिश शासन समाप्त होने और चीन के कब्जे में आने के 23वीं सालगिरह पर स्थानीय लोकतंत्र समर्थक कार्यकर्ताओं ने विरोध रैली निकाली थी। जिसके बाद चीन समर्थक पुलिस ने न केवल आंदोलनकारी जनता बल्कि वहां मौजूद मीडियाकर्मियों को भी निशाना बनाया। इस दौरान मची भगदड़ की चपेट में आने से कई लोग घायल भी हो गए।
गिरफ्तार किए गए पहले शख्स को चीन के नए राष्ट्रीय सुरक्षा कानून के तहत सजा दी जाएगी। इस कानून के तहत राष्ट्रीय सुरक्षा को खतरे में डालने, विदेशी ताकतों के साथ अलगाव, तोड़फोड़, आतंकवाद के दोषी व्यक्ति को अधिकतम उम्रकैद की सजा सुनाई जा सकती है। चीन के नेशनल पीपुल्स कांग्रेस स्टैंडिंग कमेटी के 162 सदस्यों ने 30 जून को कानून को पेश किए जाने के 15 मिनट के अंदर सर्वसम्मति से मंजूरी दे दी थी। पेइचिंग हॉन्ग-कॉन्ग की राजनीतिक उठापटक को अपने हाथ में लेने की कोशिश कर रहा है।
बता दें कि हॉन्ग-कॉन्ग ब्रिटिश शासन से चीन के हाथ 1997 में ‘एक देश, दो व्यवस्था’ के तहत आया और उसे खुद के भी कुछ अधिकार मिले हैं। इसमें अलग न्यायपालिका और नागरिकों के लिए आजादी के अधिकार शामिल हैं। यह व्यवस्था 2047 तक के लिए है। 1942 में हुए प्रथम अफीम युद्ध में चीन को हराकर ब्रिटिश सेना ने पहली बार हॉन्ग कॉन्ग पर कब्जा जमा लिया था। बाद में हुए दूसरे अफीम युद्ध में चीन को ब्रिटेन के हाथों और हार का सामना करना पड़ा। इस क्षेत्र में अपनी स्थिति मजबूत करने के लिए 1898 में ब्रिटेन ने चीन से कुछ अतिरिक्त इलाकों को 99 साल की लीज पर लिया था। ब्रिटिश शासन में हॉन्ग कॉन्ग ने तेजी से प्रगति की। 1982 में ब्रिटेन ने हॉन्ग कॉन्ग को चीन को सौंपने की कार्रवाई शुरू कर दी जो 1997 में जाकर पूरी हुई। चीन ने एक देश दो व्यवस्था के तहत हॉन्ग कॉन्ग को स्वायत्तता देने का वादा किया था।
चीन ने कहा था कि हॉन्ग कॉन्ग को अगले 50 सालों तक विदेश और रक्षा मामलों को छोड़कर सभी तरह की आजादी हासिल होगी। बाद में चीन ने एक समझौते के तहत इसे विशेष प्रशासनिक क्षेत्र बना दिया। भारत ने सोमवार को टिकटॉक, यूसी ब्राउजर समेत 59 चीनी ऐप को यह कहते हुए प्रतिबंधित कर दिया कि यह देश की सुरक्षा, अखंडता और संप्रभुता के लिए नुकासनदेह हैं। यह प्रतिबंध लद्दाख में वास्तविक नियंत्रण रेखा पर भारत के, चीनी सैनिकों के साथ चल रहे गतिरोध के बीच लगाया गया है। इन प्रतिबंधित ऐप की सूची में वीचैट और बिगो लाइव भी शामिल हैं।
वहीं, अमेरिका ने चीन के हॉन्ग कॉन्ग को लेकर राष्ट्रीय सुरक्षा कानून लाए जाने की घोषणा के बाद अब अमेरिकी मूल अत्याधुनिक रक्षा उपकरणों और तकनीकों के निर्यात पर प्रतिबंध लगा दिया है। पॉम्पियो ने ट्वीट कर कहा, ‘आज अमेरिका हॉन्ग कॉन्ग को रक्षा उपकरण और दोहरे इस्तेमाल में आने वाली संवेदनशील तकनीकों के निर्यात पर बैन लगाने जा रहा है। यदि पेइचिंग हॉन्ग कॉन्ग को एक देश, एक प्रणाली समझता है तो हमें भी निश्चित रूप से समझना होगा।’ इससे पहले प्रेस ब्रीफिंग के दौरान भी अमेरिकी विदेश मंत्री ने चीन पर जमकर हमला बोला था। उन्होंने कहा कि यह फैसला अमेरिका की राष्ट्रीय सुरक्षा की रक्षा के लिए लिया गया है।