भारतीय संगीत को ग्लोबल म्यूज़िक से जोड़ना है : सोमेश माथुर
मुम्बई : संगीत उनकी जिंदगी है और सुर उनकी आत्मा। गीत के हर अंदाज़ को उन्होंने सुरों में पिरोया है। हम बात कर रहे हैं गायक-संगीतकार सोमेश माथुर की, जिन्होंने सूफी हो या डिवोशनल या फिर गज़ल, पॉप हो या जैज़, हर तरह के संगीत को सुरों से साधा है। शास्त्रीय गायकी में तालीम हासिल करने के बाद उन्होंने भारतीय संगीत ही नहीं, पाश्चात्य संगीत में भी अनूठे प्रयोग किए हैं। उनका मानना है कि संगीत तो संगीत है, जिसे सीमाओं में नहीं बांधा जा सकता। चार साल की उम्र में ही सोमेश ने राग दुर्गा में छोटा ख्याल प्रस्तुत कर दर्शकों को चौंका दिया था। पिता पंडित सर्वेश चंद्र माथुर और मां सुधा माथुर ही उनके गुरू हैं और दोनों ही संगीत के उस्ताद हैं। घर में बड़े-बड़े उस्तादों का आना-जाना लगा रहता था। बस उसी माहौल में रहते हुए संगीत रगों में दौड़ने लगा और 19 साल की उम्र में पहला सोलो लाइव कन्सर्ट देकर एक लंबी म्यूज़िकल जर्नी पर निकल पड़े। अब तक इनके 14 एलबम्स आ चुके हैं जिसकी शुरूआत 1988 में पहले म्यूज़िक एलबम एक नई बात से हुई थी। 22 साल की उम्र में अमेरिका का टूर लगा और फिर उसके बाद विदेशी कन्सर्ट सोमेश की ज़िंदगी का हिस्सा बनते चले गए। आशा भौसले के साथ भी इनका एलबम आ चुका है जिसे एमटीवी अवार्ड मिल चुका है।
मौजूदा संगीत के दौर को लेकर सोमेश कहते हैं कि आज संगीत पर तकनीक हावी हो अच्छी है। एक एक कंप्यूटर और की-बोर्ड पर ही सारा काम चल रहा है। यूट्यूब, अमेज़ोन जैसे कई प्लेटफॉर्म बन गए हैं जहां अनाड़ी और उस्ताद बराबरी पर आ गए हैं। मैं तो यही कहूंगा कि संगीत में भले ही नई तकनीक आएं, लेकिन उनकी अच्छी समझ होना जरूरी है। हालांकि आज भी कई संगीतकार की-बोर्ड से निकले साउंड का इस्तेमाल नहीं करते। अच्छा बजट मिलने पर कई संगीतकार लाइव म्यूज़िक ले रहे हैं। भारतीय और विदेशी श्रोताओं में संगीत को लेकर कितनी समझ है? इस सवाल पर सोमेश कहते हैं कि विदेशी रसपरक हैं। वे ओपन माइंड से कन्सर्ट देखने आते हैं। उन्हें यह नहीं पता होता कि किस तरह का संगीत सुनाया जाएगा। वे तो बस अच्छा संगीत सुनना चाहते हैं जबकि भारतीय दर्शक ये तय करके आते हैं कि हमें बस यही सुनना है।
सोमेश न्यू ग्लोबल म्यूज़िक ज़ोनर की तरफ बढ़ रहे हैं। उनका मिशन भारतीय इंडियन फॉक और क्लासिकल मैलोडी को दुनिया भर में पहुंचाना है जिसके लिए न्यू ग्लोबल म्यूज़िक जेनेयर की शुरूआत हो चुकी है जिसके तहत इंडियन आर्टिस्ट्स ग्लोबल ब्रांड के रूप में पेश होंगे। सोमेश कहते हैं कि अगर माल्कोस राग पर हम अंग्रेजी गीत बनाते हैं और उसे शकीरा गाती हैं, तो क्या होगा! वो गीत पूरी दुनिया में छा जाएगा। यही हमें करना है जिससे इंडियन सिंगर्स को भी जुगलबंदी के जरिए प्रमोशन मिलेगा। हमें दुनिया को अपने देश से जुड़ा संगीत सुनाना है जिसे वो स्वीकार करें। स्वीट बीट्स देश का पहला म्यूज़िक और कल्चर स्टार्ट अप है जिसे सोमेश ने ‘स्वीट बीट्स’ प्रोडक्शन कंपनी का रूप दिया है। ‘स्वीट बीट्स’ का मकसद उन इंडियन आर्टिस्ट्स को भी प्रमोट करना है, जिनकी फॉक म्यूज़िक में अच्छी पकड़ है। सोमेष चाहते हैं कि भारतीय कलाकार ग्लोबल ब्रांड से जुड़ें। अनूप जलोटा जैसी हस्तियां इनकी सलाहकार टीम से जुड़ी हैं। सोमेश ने कंपनी के जरिए कई सामाजिक सरोकारों से जुड़े गीत तैयार किए हैं जो गर्ल चाइल्ड, कास्ट सिस्टम, फॉर्मर कॉस, गौ मां आदि विषयों से संबंधित हैं। सोमेश दो अमेरिकन म्यूज़िक एलबम तैयार कर रहे हैं जिनमें सूफी कलाम भी है और संस्कृत भी। उसमें उर्दू को भी लिया गया है। पिछले साल पॉप गायिका जूलिया माइकल का गीत इशूज निकला है, जो अमेरिकन चार्ट में नंबर 5 पर है। उसका इंडियन वर्सन मैंने प्रोड्यूज़ किया है। अमेरिका की यूनिवर्सल कंपनी ने इसके लिए मुझे अप्रोच किया था। उसमें एक भी की-बोर्ड नोट नहीं है। 48 इंडियन वाद्ययंत्रों का इस्तेमाल किया है। उसमें मैंने हर राज्य के फॉक वाद्ययंत्र यूज़ किए हैं। मैं चाहता हूं पूरी दुनिया हमारे देश के संगीत को सुने, समझे और महसूस करे। भारतीय संगीत और संस्कृति हमारा गौरव है जिसकी जरूरत पूरी दुनिया को है क्योंकि इसमें ओरिजनेलिटी है।