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भारतीय सुरक्षाबल कश्मीर को मानवाधिकार उल्लंघन को बढ़ावा देता है: अहमद वार

2015_12image_16_08_228184647aa-llदस्तक टाइम्स/एजेंसी
जम्मू कश्मीर : पीपुल्स पॉलीटिकल पार्टी प्रमुख हिलाल अहमद वार ने अलगाववादी नेतृत्व से लगातार हड़तालों के आह्वान से परहेज करने की अपील की, क्योंकि यह मानवाधिकार के उल्लंघन को बढ़ावा देता है। हुरियत कांफ्रैंस (एम) द्वारा मानवाधिकारों पर आयोजित सैमिनार को संबोधित करते हुए वार ने कहा कि नियमित हड़तालों ने कश्मीर की अर्थव्यवस्था अपंग कर दिया है, जो लंबे समय में आजादी आंदोलन के लिए हानिकारक है। कश्मीर दुनिया की एकमात्र जगह है, जहां मानवाधिकार हिरासत में है। घाटी को भारत के सुरक्षाबलों द्वारा मानवाधिकारों के कब्रिस्तान में बदल दिया गया है। उन्होने कहा कि कश्मीर एक मानवीय मुद्दा है क्योंकि हूमन चार्टर के अनुसार मानवाधिकार और आत्मनिर्णय का अधिकार शरीर और आत्मा की तरह जुडे है। इसलिए राजनीतिक कपडो में कश्मीर मुद्दा स्पष्ट रुप से एक मानव समस्या है क्योंकि विवाद के लिए भारत और पाकिस्तान की पार्टियों के रुप में भूमिका है। मीरवायज उमर फारुक के नेतृत्व वाले हुरियत कांफ्रैंस गुट के वरिष्ठ नेता वार ने कहा कि धर्म और कश्मीर मुद्दे को नहीं मिलाया जाना चाहिए क्योंकि यह एक राजनीतिक-मानवीय मुद्दा है। हमें इसमें धर्म को नही लाना चाहिए और हमारे कुछ वरिष्ठ नेता जो हमारे आंदोलन को सांप्रदायिक रंग देने की कोशिश कर रहे है, असल में आंदोलन को नुकसान पहुंचा रहे है। मानवाधिकार की सार्वभौम घोषणा के अनुच्छेद 3 और नागरिक व राजनीतिक अधिकारों के लिए अंतर्राष्ट्रीय वाचा के अनुच्छेद 6 पर प्रकाश डालते हुए वार ने कहा कि इन अनुच्छेदों के अनुसार हर किसी को जीवन का अधिकार है।
जीवन के अधिकार में गरिमा और सम्मान के साथ जीने का अधिकार, अभिव्यक्ति का अधिकार, गोपनीयता की स्वतंत्रता का अधिकार, शिक्षा का अधिकार, आत्मर्निणय का अधिकार, आजीविका कमाने का अधिकार शामिल है।

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