शिवलिंग के चारों ओर घूमकर परिक्रमा करने से दोष लगता है और व्यक्ति पुण्य के बजाय पाप का भागी बनता है। दरअसल शिवलिंग के नीचे का हिस्सा जहां से शिवलिंग पर चढ़ाया गया जल बाहर आता है वह पार्वती का भाग माना जाता है। इसलिए आधी परिक्रमा करें फिर वापस लौटकर दूसरी परिक्रमा करनी चाहिए।
शिव पुराण के अनुसार कोई भी शिवलिंग की जल की निकासी यानि कि निर्मली को लांघेगा वह पापी कहलाएगा और उसके भीतर की शक्ति छीन ली जाती है। इसलिए निर्मली तक परिक्रमा करनी चाहिए, यानि की आधी परिक्रमा।