अद्धयात्म

भूलकर भी शिवलिंग पर न चढ़ाएं ये फूल, शिव जी हो जाएंगे नाराज

सावन के पवित्र महाने की शुरुआत हो चुकी है। यह पूरा महीना भगवान भोलेनाथ के पूजा-अर्चना के लिए होता है। इस महीने में लोग शिव की आराधना कर मनचाहे फल की प्राप्ति करते हैं। वैसे तो सच्चे मन से भगवान भोलेनाथ को जल भी चढ़ा दो तो भी वह खुश हो जाते हैं, लेकिन शिव के पूजा के दौरान कुछ विशेष बातों का ध्यान रखना होता है। कुछ फूल ऐसे हैं जो भोलेनाथ को पसंद नहीं हैं। जिनका पूजा में इस्तेमाल करने से शिव जी नाराज हो जाते हैं।

भगवान शिव की पूजा में भूलकर भी केतकी का फूल न चढ़ाएंं क्योंकि महादेव ने इस फूल का अपनी पूजा से त्याग कर दिया है। आइए जानते हैं आखिर क्यों शिव ने इस फूल को त्याग दिया।

पौराणिक कथा के अनुसार एक बार भगवान विष्णु और ब्रह्मा जी कौन बड़ा और कौन छोटा है, इस बात का फैसला कराने के लिए भगवान शिव के पास पहुंचे। इस पर भगवान शिव ने एक शिवलिंग को प्रकट कर उन्हें उसके आदि और अंत पता लगाने को कहा। उन्होंने कहा जो इस बात का उत्तर दे देगा वही बड़ा है। इसके बाद विष्णु जी उपर की ओर चले और काफी दूर तक जाने के बाद पता नहीं लगा पाए। उधर ब्रह्मा जी नीचे की ओर चले और उन्हें भी कोई छोर न मिला। नीचे की ओर जाते समय उनकी नजर केतकी के पुष्प पर पड़ी, जो उनके साथ चला आ रहा था। उन्होंने केतकी के पुष्प को भगवान शिव से झूठ बोलने के लिए मना लिया। जब ब्रह्मा जी ने भगवान शिव से कहा कि मैंने पता लगा लिया है और केतकी के पुष्प से झूठी गवाही भी दिलवा दी तो त्रिकालदर्शी शिव ने ब्रह्मा जी और केतकी के पुष्प का झूठ जान लिया। उसी समय उन्होंने न सिर्फ ब्रह्मा जी के उस सिर को काट दिया जिसने झूठ बोला था बल्कि केतकी की पुष्प को अपनी पूजा में प्रयोग किए जाने के अधिकार से भी वंचित कर दिया।

शिव की पूजा करते समय सिर्फ फूल ही नही बल्कि अन्य बातों का भी ख्याल रखना चाहिए। जैसे इस दिन पूजा करते समय काले रंग के कपड़े ना पहनें। मान्यता है कि भगवान शिव को काला रंग बिल्कुल भी पसन्द नहीं है।

इसी तरह शिव की पूजा में शंख से जल और तुलसी अर्पित करना भी निषेध है। भगवान शिव का नारियल पानी से अभिषेक भी नहीं किया जाता है।

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