भ्रष्टाचार-निरोधी कानूनों लागू करने के लिए कठोर कानूनी व्यवस्था हो: चुनाव आयोग
दस्तक टाइम्स/एजेंसी नई दिल्ली: भारतीय चुनाव आयोग ने आज कहा कि देश में अभी सरकारी धन से चुनाव कराने के लिए सही समय नहीं आया है और यह राजनीति का गैर अपराधीकरण और उम्मीदवारों तथा राजनीतिक दलों के लिए कड़े वित्तीय पारदर्शिता कानूनोंं जैसे कड़े सुधारों को लागू करने के बाद ही संभव हो सकेगा। राजनीति में धन के प्रभाव पर वैश्विक सम्मेलन का उद्घाटन करते हुए मुख्य चुनाव आयुक्त नसीम जैदी ने कहा, ‘‘कई राजनीतिक दलों ने सरकारी कोष की मांग की है। हमारे पास दलों के लिए प्रत्यक्ष कोष नहीं है। कुछ अप्रत्यक्ष लाभ हैं, जैसे नि:शुल्क मतदाता सूची, सरकारी मीडिया में नि:शुल्क प्रसारण समय, राज्यों की राजधानी में पंजीकृत कार्यालयों के लिए नि:शुल्क स्थान और कर में छूट :दलों के लिए:।’’ उन्होंने कहा, ‘‘चुनाव आयोग का मानना है कि सरकारी खर्च पर उस वक्त तक विचार नहीं किया जाना चाहिए, जब तक इस क्षेत्र में कुछ आमूल-चूल परिवर्तन ना हों, जैसे राजनीति का गैरअपराधीकरण, दलों में लोकतंत्र, समग्र चुनावी वित्त सुधार, पूर्ण पारदर्शिता और ऑडिट, भ्रष्टाचार-निरोधी कानूनों को लागू करने के लिए कठोर कानूनी व्यवस्था।’’ जैदी ने कहा, यदि सुधार नहीं होते हैं, तो चुनाव आयोग को ‘‘संदेह है कि चुनाव प्रचार में अवैध धन के प्रयोग को कम किए बगैर, सरकारी खर्च एक अतिरिक्त उपकरण या अतिरिक्त स्रोत बन जाएगा और यह एक प्रकार से सही सोच रखने वाले नागरिकों को रोक सकता है।’’ राज्य या सरकार द्वारा चुनावी खर्च उठाने की प्रक्रिया में किसी भी राजनीतिक दल या उम्मीदवार को चुनाव लडऩे का पूरा खर्च सरकार देती है। वर्तमान प्रक्रिया के तहत उम्मीदवार और पार्टी निजी रूप से चुनावी खर्च उठाते हैं।