मंदी से परेशान ऑटो सेक्टर को सरकार दे सकती है राहत पैकेज, सस्ती होंगी गाड़ियां
सरकार ने ऑटोमोबाइल निर्माताओं से जीएसटी दरों में कटौती करने को लेकर असमर्थता जताई है, लेकिन भरोसा दिलाया है कि जीएसटी काउंसिल को ऑटो कंपोनेंट्स पर दरें एकसमान करने के लिए मनाने की कोशिशें करेंगी। रिपोर्ट्स के मुताबिक सरकार एबीएफसी सेक्टर से लिक्विडिटी को बढ़ाने के लिए ऑटोमोबाइल लोन कम करने की दिशा में भी कदम उठाने की सोच रही है। सरकार की पहली प्राथमिकता मंदी की मार से खस्ताहाल ऑटोमोबाइल सेक्टर को राहत देने की है। वरिष्ठ अधिकारियों का कहना है कि ऑटोमोबाइल्स पर जीएसटी घटाना सरकार के लिए मुश्किल है, क्योंकि राज्य सरकारें गाड़ियों पर जीएसटी दरों में कटौती के खिलाफ हैं, क्योकि इस कटौती का असर उनकी आमदनी पर पड़ेगा। वहीं मंदी की मार से जूझ रहे बाकी सेक्टर भी ऐसी ही कटौती की मांग करेंगे।
अधिकारियों का कहना है कि भारतीय कार निर्माताओं और विदेश स्थित ऑटो कंपनियों को कलपुर्जे निर्यात करने वाली कंपनियों का कहना है कि उन्हें अलग-अलग 18 और 28 फीसदी की दर से टैक्स चुकाना पड़ रहा है, बजाय इसके सरका सभी प्रकार के ऑटो कंपोनेंट्स पर 18 फीसदी की टैक्स लगाने पर सहमति दे सकती है।
सेंट्रल बोर्ड ऑफ डायरेक्ट टैक्स के पूर्व चेयरमैन सुमित दत्त मजूमदार ने मॉर्निंग स्टैंडर्ड को बताया कि ऑटो कपोनेंट्स पर टैक्स दरों को एकसमान करने के पीछे वजह है कि इससे टैक्स अधिकारियों को टैक्स में असमानता खत्म करने में मदद मिलेगी। अगली होने वाली जीएसटी काउंसिल की बैठक में इस मांग को पेश किया जाएगा और सहमति बनाने की कोशिश की जाएगी।
इससे पहले पिछले हफ्ते कई ऑटो कंपनियों के अधिकारियों ने प्रधानमंत्री कार्यालय अधिकारियों के अलावा वित्त मंत्री से भी मुलाकात की थी और टैक्स दरों में कटौती करने का अनुरोध किया था। ऑटो कंपनियों के संगठन सियाम ने सरकार से मांग की थी है कि वाहनों पर जीएसटी की दरों में तुरंत कमी की जाए। फिलहाल वाहनों पर जीएसटी की दरें 28 फीसदी हैं। सियाम का कहना है कि टैक्स को 28 फीसदी से घटाकर 18 फीसदी किया जाए। यह मांग करने वालों में वाहन निर्माताओं के अलावा बाइक के मूल उपकरण बनाने वाले (ओईएम) भी शामिल हैं।
सियाम के मुताबिक वित्त मंत्री के साथ बैठक में हीरो मोटरकॉर्प के चेयरमैन पवन मुंजाल ने भी तुरंत ही जीएसटी की दरों में कमी करने पर जोर दिया था। मौजूदा वक्त में वाहनों पर 28 फीसदी जीएसटी के अलावा एक फीसदी से लेकर 22 फीसदी तक सेस लगता है। बैठक में महिंद्रा एंड महिंद्रा के मैनेजिंग डायरेक्टर पवन गोयनका ने कहा कि मांग न होने से नौकरियां जाने का खतरा बढ़ा है और अब तक 260 डीलरशिप बंद हो चुकी हैं। वहीं आने वाले दिनों में और भी डीलरशिप बंद होने की संभावना है। उन्होंने बताया कि 400-500 पार्ट्स सप्लायर्स का काम बिल्कुल खत्म हो चुका है।