स्वास्थ्य
मद्धिम या धीमी रोशनी से बच्चों की आंखों को खतरा
अधिकांश भारतीय परिवारों का मानना है कि मद्धिम व अस्थिर रोशनी से उनके बच्चों की आखों की रोशनी प्रभावित हो सकती है। फिलिप्स लाइटिंग की ओर से सोमवार को जारी एक सर्वेक्षण के नतीजों में बताया गया है कि करीब 61 फीसदी माता-पिता इस बात से इत्तेफाक रखते हैं।
भारत समेत 1 2 देशों में करवाए गए सर्वेक्षण के मुताबिक, भारत में बच्चों को स्कूलों और घरों में औसतन 12 घंटे मद्धिम रोशनी में रहना पड़ता है। आधे से अधिक भारतीय माता-पिता इस बात को लेकर चिंतित हैं कि उनके बच्चों को भविष्य में चश्मे की जरूरत होगी।
फिलिप्स लाइटिंग इंडिया के वाइस चेयरमैन व मैनेजिंग डायरेक्टर सुमित जोशी ने कहा, ‘चूंकि भारतीय बच्चे ज्यादा समय घरों के भीतर कृत्रिम प्रकाश में रहते हैं और स्कूल के कामकाज पर ध्यान केंद्रित रखते हैं, इसलिए यह महत्वपूर्ण है कि उनको अच्छी रोशनी मिले, जो उनकी आंखों के लिए उपयुक्त हो।’
सर्वेक्षण के नतीजों का विश्व स्वास्थ्य संगठन WHO ने समर्थन किया है। WHO का मानना है कि घरों से बाहर उजाले में ज्यादा समय व्यतीत करना बच्चों के साथ ही बड़ों के लिए भी स्वास्थ्यकर है।