मन की बात में प्रधानमंत्री मोदी ने सेना के पराक्रम को किया नमन
नई दिल्ली : ‘मन की बात’ की शुरुआत करते हुए प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि हर भारतीय को हमारे सशस्त्र बलों और सेना के जवानों पर गर्व है। प्रत्येक भारतीय चाहे वो किसी भी क्षेत्र, जाति, धर्म का क्यों न हो, हमारे सैनिकों के प्रति अपनी खुशी और समर्थन अभिव्यक्त करने के लिए हमेशा तत्पर रहता है।
मोदी ने सर्जिकल स्ट्राइक का जिक्र करते हुए कहा, कल (29 सितंबर) भारत के सवा-सौ करोड़ देशवासियों ने 2016 में हुई सर्जिकल स्ट्राइक को याद करते हुए पराक्रम पर्व मनाया। जब हमारे सैनिकों ने हमारे राष्ट्र पर आतंकवाद की आड़ में प्रॉक्सी वॉर की धृष्टता करने वालों को मुंहतोड़ ज़वाब दिया था। उन्होंने कहा, पराक्रम पर्व पर देश में अलग-अलग स्थानों पर हमारे सशस्त्र बलों ने प्रदर्शनियां लगाईं, ताकि देश के नागरिक खासकर युवा-पीढ़ी यह जान सके कि हमारी ताकत क्या है, हम कितने सक्षम हैं और कैसे हमारे सैनिक अपनी जान जोखिम में डालकर देशवासियों की रक्षा करते हैं। उन्होंने आगे कहा कि पराक्रम पर्व जैसा दिवस युवाओं को हमारी सशस्त्र सेना के गौरवपूर्ण विरासत की याद दिलाता है और देश की एकता और अखंडता सुनिश्चित करने के लिए हमें प्रेरित भी करता है।
पराक्रमपर्व के अवसर पर प्रधानमंत्री ने वीरों की भूमि राजस्थान के जोधपुर में एक कार्यक्रम में स्वयं के भाग लेने का जिक्र करते हुए कहा कि अब यह तय हो चुका है कि हमारे सैनिक उन सबको मुंहतोड़ ज़वाब देंगे जो हमारे राष्ट्र में शांति और उन्नति के माहौल को नष्ट करने का प्रयास करेंगे। प्रधानमंत्री मोदी ने कहा, हम शांति में विश्वास करते हैं और इसे बढ़ावा देने के लिए प्रतिबद्ध हैं, लेकिन सम्मान से समझौता करके और राष्ट्र की सम्प्रभुता की कीमत पर कतई नहीं। भारत सदा ही शांति के प्रति वचनबद्ध और समर्पित रहा है। इस दौरान उन्होंने देश के जवानों के हौसलों और उनकी ताकत का जिक्र करते हुए कहा, आज भी संयुक्त राष्ट्र (यूएन) की अलग-अलग शांति रखने वाले बलों (Peace Keeping Forces) में भारत सबसे अधिक सैनिक भेजने वाले देशों में से एक है। दशकों से हमारे बहादुर सैनिकों ने ब्लू हेलमेट पहन कर विश्व में शांति कायम रखने में अहम भूमिका निभाई है। आठ अक्टूबर को हम ‘वायुसेना दिवस’ मनाते हैं। 1932 में छह पायलट और 19 वायु सैनिकों के साथ एक छोटी सी शुरुआत से हमारी वायुसेना आज 21वीं सदी की सबसे साहसिक और शक्तिशाली वायुसेना में शामिल हो चुकी है। यह अपने आप में एक यादगार यात्रा है। उन्होंने कहा, देश के लिए अपनी सेवा देने वाले सभी वायु योद्धाओं और उनके परिवारों का मैं अपने ह्रदय की गहराई से अभिनंदन करता हूं। उन्होंने कहा, 1947 में वायुसेना ने श्रीनगर को हमलावरों से बचाने के लिए ये सुनिश्चित किया कि भारतीय सैनिक और उपकरण युद्ध के मैदान तक समय पर पहुंच जाएं। वायुसेना ने 1965 में भी दुश्मनों को मुंहतोड़ जवाब दिया। 1999 करगिल की घुसपैठियों के कब्जे से मुक्त कराने में भी वायुसेना की भूमिका अहम रही है। उन्होंने आगे कहा कि राहत कार्य हो, बचाव कार्य हो या फिर आपदा प्रबंधन, हमारे वायु सैनिकों के सराहनीय कार्य को लेकर देश वायुसेना के प्रति कृतज्ञ है। वायुसेना में महिलाओं की भागीदारी का जिक्र करते हुए पीएम ने कहा, देश में स्त्री और पुरुष की समानता सुनिश्चित करने में वायुसेना ने मिसाल कायम करते हुए अपने प्रत्येक विभाग के द्वार उनके लिए खोल दिए हैं। अब महिलाओं के पास शॉर्ट सर्विस कमीशन के साथ परमानेंट कमीशन का विकल्प भी है। उन्होंने कहा कि भारत गर्व से कह सकता है कि भारत की सेना में सशस्त्र बलों में पुरुष शक्ति ही नहीं, स्त्री-शक्ति का भी उतना ही योगदान बनता जा रहा है। नारी सशक्त तो है, अब सशस्त्र भी बन रही है। गौरतलब है कि सुबह 11 बजे अपने रेडियो कार्यक्रम ‘मन की बात’ के जरिए देश को संबोधित करना शुरू किया। यह मन की बात कार्यक्रम का यह 48 वां संस्करण है, इसको लेकर प्रधानमंत्री मोदी ने लोगों से सुझाव मांगे थे। मन की बात के पिछले संस्करण में प्रधानमंत्री मोदी ने नारी शक्ति और बच्चियों से दुष्कर्म के मामले पर बात की थी। उन्होंने कहा था कि देश की नारी शक्ति के खिलाफ अत्याचार कोई भी सभ्य समाज बर्दाश्त नहीं करेगा। अब 12 वर्ष से कम उम्र की बच्चियों से दुष्कर्म के दोषियों को फांसी की सजा होगी।