चंदनकियारी सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र (सीएचसी) में सोमवार को इलाज के दौरान दो साल की एक बच्ची की मौत के बाद उसके परिजनों और अन्य लोगों ने जमकर हंगामा किया। उनका आरोप है कि इलाज करने वाली महिला डॉक्टर ने बच्ची को बगैर छूए और अच्छी तरह जांच किए ही दवा दे दिया। दवा देने के दो घंटे बाद ही बच्ची की सांसें फूलने लगीं। अस्पताल में ऑक्सीजन की व्यवस्था होने के बावजूद डॉक्टरों ने बच्ची को ऑक्सीजन नहीं दिया और न ही बेहतर इलाज के लिए बाहर रेफर किया। अंतत: बच्ची ने दम तोड़ दिया। घटना के बाद परिजनों ने डॉक्टर पर इलाज में लापरवाही बरतने की आरोप लगाकर हंगामा किया।
धनबाद के परसियाबाद का राजेंद्र अपनी बेटी को लेकर आया था ससुराल
करीब 20 मिनट तक वहां हंगामे का दौर चलता रहा। बाद में अस्पताल प्रबंधन ने पुलिस की मदद से परिजनों को समझा कर घर भेज दिया। हालांकि, अस्पताल प्रबंधन ने सही इलाज और किसी भी तरह की लापरवाही की बात से इनकार किया है। धनबाद जिले के भौरा परसियाबाद निवासी राजेंद्र हेम्ब्रम पत्नी और दो साल की बेटी रचना के साथ तीन दिन पहले चंदनकियारी थाना क्षेत्र के सुदामडीह गांव स्थित अपने ससुराल आया। सोमवार को रचना को उल्टी, दस्त और बुखार की शिकायत हुई। उसके नाना मनसाराम बास्के ने इलाज के लिए सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र में उसे भर्ती कराया।
दो घंटे बाद बच्ची की सांस फूलने लगी
अस्पताल में ड्यूटी पर तैनात डॉ. मंजु दास ने बच्ची को दवा दिया। उन्होंने जांच के बाद मेट्रोन सिरप, हनडम सिरप, पारासिटामोल सिरप, एसोजाइम सिरप और ओआरएस का पाउडर दिया गया। दवा देने के करीब दो घंटे बाद बच्ची की सांस फूलने लगी और उसने दम तोड़ दिया। बच्ची की मौत होते ही परिजनों ने अस्पताल में जमकर बवाल काटा। बच्ची के पिता राजेन्द्र ने आरोप लगाया कि डॉ. मंजु दास ने उनकी बेटी को हीन भावना से बिना छूए दूर से ही देखकर दवा दी, जो लापरवाही के अलावा कुछ नहीं है। बेटी की सांस फूल रही थी, लेकिन अस्पताल में ऑक्सीजन की व्यवस्था रहने के बावजूद ऑक्सीजन नहीं लगाया और न ही बेहतर इलाज के लिए दूसरे अस्पताल में रेफर किया। जबकि, वे लोग बेहतर इलाज के लिए रेफर करवाने को लेकर बार-बार गिड़गिड़ाते रहे।
इधर, डॉक्टरों ने आरोप को बताया निराधार, कहा- जांच कर दी थी दवा
इस संबंध में प्रभारी चिकित्सा पदाधिकारी डॉ. श्रीनाथ ने कहा कि रचना कुमारी नामक दो साल की बच्ची को दिन के लगभग 11.30 बजे भर्ती कराया गया था। अस्पताल में डॉ. मंजु दास ने जांच कर जरूरत के अनुसार दवा दी। अचानक दो घंटे के बाद बच्ची की सांस फूलने लगी। जबतक डॉक्टर कुछ समझ पाते, बच्ची की सांसें थम चुकी थीं। इलाज करने वाली डॉ. मंजु दास ने भी कहा कि उन पर लगाए गए आरोप निराधार हैं। उन्होंने जांच कर ही आवश्यक दवा दी थी, लेकिन अचानक बच्ची की मौत हो गई।
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