महाराजा दलीप सिंह की एल्बम की नीलामी 22,000 पाउंड्स में
लंदन। सिख सम्राज्य के अंतिम महराजा दलीप सिंह के चित्रों के एक एल्बम की नीलामी 22,००० पाउंड्स में केंट रोचेस्टर शहर में सी एंड टी ऑक्शनर्स पर हुई। महाराजा दलीप सिंह के एल्बम के साथ ही दो अन्य एल्बमों की भी नीलामी हुई। महाराजा के 1853 के चित्र भी इस संकलन में शामिल हैं।द डेली मेल की मंगलवार की रिपोर्ट के मुताबिक, चमड़े के इस एल्बम में 24० तस्वीरें थीं। इनमें से चार महराजा दलीप सिंह की हैं, जिन पर पहले कभी सर जॉन स्पेंसर लोगिन का मालिकाना हक था। सर जॉन इस्ट इंडिया कंपनी के लिए काम करते थे और महाराजा दलिप सिंह के शिक्षक के तौर पर नियुक्त थे, जब वे पांच वर्ष के थे। द डेली मेल के मुताबिक भारतीय मूल के एक ब्रिटिश खरीदार ने एल्बम को 19,००० पाउंड्स में खरीदा, लेकिन सभी शुल्कों के भुगतान के बाद 22,4०० पाउंड की कीमत अदा की गई।नीलामीकर्ता समूह के मैथ्यू ट्रेवेडन ने कहा, ‘‘विक्टोरियन फोटाग्राफी हमेशा बेहद पसंद की जाती है, लेकिन महाराजा के चित्रों के कारण यह और भी महत्वपूर्ण है।’’महाराजा दलीप सिंह को 1843 में सिख साम्राज्य का महाराजा घोषित किया गया, जब उनकी उम्र महज पांच वर्ष थी।एंग्लो-सिख युद्ध के बाद अंग्रेजों ने सर जॉन की देख-रेख में उन्हें शासक बनाए रखा, लेकिन 1854 में उन्हें शासन से अपदस्थ करके ब्रिटेन भेज दिया गया। शुरुआत में वे लंदन में क्लेरिज होटल में रहे जिसके बाद ईस्ट इंडिया कंपनी ने दक्षिणी-प>िमी लंदन में विम्बल्डन में उनके लिए एक घर लिया।ब्रिटिश सरकार की आज्ञा के अनुपालन की शर्त पर ईस्ट इंडिया कंपनी द्वारा उन्हें पैसे दिए जाते थे।188० में महाराजा दलीप सिंह ने अंग्रेजों की मर्जी के खिलाफ भारत लौटने का प्रयास किया, लेकिन ईडन में उन्हें गिरफ्तार कर लिया गया और फिर से यूरोप भेज दिया गया।1893 में 55 वर्ष की उम्र में पैरिस में महराजा दलीप सिंह की मृत्यु हो गई।