महाशिवरात्रि पर शिवलिंग को गंगाजल, दूध, घी, शहद और शक्कर के मिश्रण से शिवलिंग को स्नान करवाया जाता है। फिर चंदन लगाकर फल-फूल, बेलपत्र, धतूरा, बेर इत्यादि अर्पित किए जाते हैं। उत्तराखंड विद्वत सभा के पूर्व अध्यक्ष पं उदय शंकर भट्ट ने बताया कि शास्त्रानुसार निशिथ व्यापिनी और चतुर्दशी युक्त महाशिवरात्रि को ग्राह्य बताया गया है। इस दिन भगवान शिव की आराधना कई गुना अधिक फल देती है।
बताया कि इस दिन व्रत रखकर भक्त शिव की आराधना करने से विशेष पुण्य और लाभ कि प्राप्ति होगी। ज्योतिषाचार्य के मुताबिक, फाल्गुन मास के दिन आने वाली महाशिवरात्रि पर भगवान शिव और पार्वती का शुभ विवाह हुआ था। इसलिए इस त्योहार को महाशिवरात्रि के नाम से जाना जाता हैं।