CBI ने रिश्वतखोरी के आरोप में एक महिला JUDGE को उनके पति और एक अन्य वकील के साथ गिरफ्तार किया है।
महिला जज पर आरोप है कि उन्होंने अपनी कोर्ट में लगे एक सिविल केस में शिकायतकर्ता के पक्ष में फैसला सुनाने के लिए एक वकील के जरिए उससे 20 लाख रुपये की मांग की। अदालत ने महिला जज को फिलहाल 14 दिनों की न्यायिक हिरासत में जेल भेज दिया है, जबकि उनके पति और एक अन्य वकील को सीबीआई ने 2 दिन की रिमांड पर लिया है।
सीबीआई ने तीस हजारी कोर्ट में सीनियर सिविल जज (वेस्ट) रचना तिवारी लखनपाल को गुरुवार सुबह गिरफ्तार कर स्पेशल सीबीआई जज संजीव अग्रवाल के सामने पेश किया। महिला जज के पति आलोक लखनपाल और वकील विशाल महेन को भी बतौर आरोपी अदालत के सामने पेश किया गया। सीबीआई ने दोनों आरोपियों की तीन दिनों की रिमांड मांगते हुए अदालत को बताया कि मामले में देर रात छापेमारी के बाद मिले आपराधिक सबूतों के आधार पर महिला जज व दो अन्य लोगों की गिरफ्तारी की गई। उन्हें रिश्वत के तौर पर दिए गए 4 लाख रुपए की रकम पर महिला जज के फिंगर प्रिंट्स भी मिले हैं।
सीबीआई के मुताबिक, मामले में मिली एक शिकायत पर आरोपियों के खिलाफ भ्रष्टाचार निरोधक कानून की धारा-7 और 8 के तहत केस दर्ज किया गया है। शिकायत में आरोप है कि महिला जज ने अपनी कोर्ट में लगे एक सिविल केस में विवादित प्रॉपर्टी के इंस्पेक्शन और उसकी रिपोर्ट दायर करने के लिए वकील विशाल महेन को लोकल कमिश्नर अपॉइंट किया था। उस वकील ने शिकायतकर्ता से उसके पक्ष में फैसले के लिए 2 लाख रुपये और कथित आरोपी सीनियर सिविल जज व रेंट कंट्रोलर रचना तिवारी लखनपाल के लिए 20 लाख रुपये की रिश्वत मांगी थी।
शिकायत पर कार्रवाई करते हुए सीबीआई ने जाल बिछाया, जिसमें वकील लोकल कमिश्नर के तौर पर जज की ओर से 5 लाख रुपये लेते हुए रंगे हाथों गिरफ्तार कर लिया गया। आरोपी वकील ने बताया कि मांगी गई रिश्वत जज को दी जानी थी। इसके बाद वकील वह रकम जज को देने के लिए उनके आवास पर गया। इसमें से 4 लाख रुपये महिला जज ने रख लिए और एक लाख उस वकील को सौंप दिए। सीबीआई ने कथित रिश्वत के तौर पर दिए गए 5 लाख रुपये बरामद कर लिए हैं।
जांच के दौरान मामले में उस जज का पति भी शामिल पाया गया। जिसके बाद पुलिस ने जज के पति आलोक लखनपाल को भी गिरफ्तार कर लिया। बताया जाता है कि आलोक लखनपाल भी वकील हैं। सीबीआई ने बुधवार देर रात महिला जज के घर पर छापेमारी की, जहां से उसने करीब 94 लाख रुपये कैश, लॉकर की दो चाबियां, अपराध से जुड़े दस्तावेज और अन्य चीजें बरामद होने का दावा किया है। जांच एजेंसी ने मामले में एक टीचर और डीडीए के अधिकारी को पब्लिक विटनेस बनाया है।
दोनों पक्षों की दलीलें सुनने के बाद अदालत ने दोनों आरोपियों को दो दिन की रिमांड पर भेज दिया, जबकि जांच एजेंसी की ओर से महिला जज की रिमांड नहीं मांगे जाने की वजह से उन्हें न्यायिक हिरासत के तहत जेल भेजा गया। गिरफ्तारी के साथ ही महिला जज ने अदालत में जमानत के लिए अर्जी दायर कर दी, जिस पर 3 अक्टूबर को सुनवाई हो सकती है।