महिलाओं के लिए नेपाल में दुनिया की बनी पहली कुंगफू फैसिलिटी
काठमांडू। सदियों से बुद्धिस्ट ननों के लिए घातक मार्शल आर्ट कुंगफू का अभ्यास करना प्रतिबंधित रहा है। मगर, कुछ साल पहले नेपाल में द्रुक अमिताभा माउंटेन ननेरी अस्तित्व में आई। यह दुनिया की पहली ऐसी फैसिलिटी है, जहां बौद्ध महिलाओं को कुंगफू की ट्रेनिंग दी जाती है।
पारंपरिक रूप से पितृसत्तात्मक बौद्ध मठ प्रणलियों में महिलाएं घरेलू काम करती हैं। वहीं, बौद्ध भिक्षु शक्ितशाली पदों को धारण करते हैं और प्रार्थनाएं कराते हैं। ननों को कम महत्व के काम जैसे रसोई घर में काम करना और बगीचों की देखभाल की जिम्मेदारी दी गई थी।
800 साल पुराने द्रुकपा ऑर्डर की सदस्यों ने करीब 26 साल पहले विद्रोह कर दिया और द्रुक अमिताभा माउंटेन ननेरी की स्थापना की। यहां पुरुषों की तरह ही महिलाओं को भी समान इज्जत दी जाती है। इस बौद्ध मठ की नेता ग्यालवांग द्रुकपा ने बताया कि जब वह छोटी थीं, तो सोचती थीं कि हमारे समाज में महिलाओं को दबाना सही नहीं है।
उन्होंने बताया कि बड़े होने पर मैंने सोचा कि मैं उनके लिए क्या कर सकती हूं। तब मैंने इस ननेरी को स्थापित करने के बारे में सोचा और महिलाओं को यहां पढ़ने और आध्यात्म की प्रैक्िटस करने का मौका दिया। साल 2008 में ननों को कुंगफू भी सीखना शुरू किया गया। वियतनाम की ननों को लड़ाई का प्रशिक्षण दिए जाने को देखकर हमने भी ऐसा कदम उठाया।
16 साल की रूपा लांबा ने बताया कि कुंगफू के प्रशिक्षण के कई फायदे हैं। यह सेहत के लिए अच्छा है। ध्यान लगाना कठिन होता है। मगर, दो घंटों के कुंगफू के बाद यह काफी आसान हो जाता है। इसमें जबरदस्त व्यायाम हो जाता है और अनुशासन व ध्यान केंद्रित करने के लिए यह अच्छा साधन है।
इसके साथ ही यह ननों में आत्मविश्वास जगाता है, जो उनके लिए बहुत जरूरी है। इलाके में रहने वाले युवा यदि ये जानते हैं कि ननों को कुंगफू आता है, तो वे आपसे दूर रहते हैं। द्रुकपा के प्रगतिशील नजरिये के कारण यहां ननों की संख्या तेजी से बढ़ती जा रही है।