दस्तक टाइम्स/एजेंसी- जोधपुर. शास्त्रीनगर निवासी अक्षय सुराणा जन्म से दृष्टिहीन है, लेकिन कभी अंधेरों से हार नहीं मानी। शिक्षा को अपने जीवन का प्रकाश बनाने में जुट गए। समय-समय पर मेहनत रंग लाई और हाल में जयनारायण व्यास विश्वविद्यालय की ओर से घोषित एमए संस्कृत के परिणाम में टॉपर रहे हैं। उन्हें गोल्ड मेडल से नवाजा जाएगा। अक्षय अब तक नेट जेआरएफ सहित सेकंड ग्रेड टीचर और आरएएस प्री एग्जाम भी पास कर चुके हैं। उनका सपना है कि वे यूनिवर्सिटी में शिक्षक बने।
अक्षय के पिता दिलीप सुराणा बिजनेसमैन व मां शर्मिला गृहिणी हैं। दृष्टिहीनता की वजह से वह टूट ना जाए, इसलिए वे हमेशा उसे मोटिवेट करते रहे। मां शर्मिला बताती हैं कि वे केवल हायर सैकंडरी उत्तीर्ण हैं, लेकिन बेटे के लिए वह रात रात भर जाग कर खुद किताबों को पढ़तीं और उनकी रिकॉर्डिंग तैयार करती थीं। दिन में अक्षय रिकॉर्डिंग सुन कर याद करता था। जरूरत होती तो कई बार किताबें भी पढ़ कर सुनाती। वे कहती हैं कि अक्षय की मेहनत के आगे उनकी मेहनत कुछ भी नहीं है। अक्षय ने बताया कि 12वीं के बाद ब्रेल लिपि में पाठ्य सामग्री नहीं मिलती है, ऐसे में दृष्टिहीनों को बड़ी समस्या आती है।
पढ़ाई के लिए नौकरी छोड़ी
अक्षय नेट, जेआरएफ और आरएएस प्री भी क्लियर कर चुके हैं। इनसे पहले बीएड किया और सैकंड ग्रेड टीचर की नौकरी हासिल की लेकिन बाद में आगे की पढ़ाई के लिए नौकरी छोड़ दी। अब वे यूनिवर्सिटी में प्रोफेसर बनना चाहते हैं।
अक्षय नेट, जेआरएफ और आरएएस प्री भी क्लियर कर चुके हैं। इनसे पहले बीएड किया और सैकंड ग्रेड टीचर की नौकरी हासिल की लेकिन बाद में आगे की पढ़ाई के लिए नौकरी छोड़ दी। अब वे यूनिवर्सिटी में प्रोफेसर बनना चाहते हैं।