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मार्केटिंग के लिए जरूरी है इमोशनल कनेक्शन : अमीश त्रिपाठी

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दस्तक टाइम्स/एजेंसी-
लेखक अमीश त्रिपाठी ने कहा, ‘मार्केटिंग विज्ञान और आर्ट का मिला-जुला रूप है। मार्केटिंग को किसी एक नियम में नहीं बांधा जा सकता है और इसका अपना ही सिद्धांत होता है। यदि यह पूरे बिजनेस की रणनीति पर काम नहीं करता है तो इसका कोई फायदा नहीं है। इसलिए, प्रत्‍येक मार्केटिंग प्रमुख और मार्केटर का सिद्धांत बिल्‍कुल स्‍पष्‍ट होना चाहिए। लेकिन यदि हम वैज्ञानिक दृष्टिकोण पर ज्‍यादा जाएं तो हमने देखा है कि कैंपेन खत्‍म ही हो जाता है और यह कैंपेन फिर आगे नहीं बढ़ता है।’त्रिपाठी ने कहा, ‘लोग आमतौर पर इस बात को भूल जाएंगे आपने उन्‍हें क्‍या बताया लेकिन वे यह कभी नहीं भूलते कि आपने उन्‍हें किस तरह का अहसास कराया। किसी भी ब्रैंड से लोगों का जुड़ाव भावनात्‍मक होता है। यह मार्केटिंग का मूलभूत सिद्धांत है। यदि हम यह भूल गए तो हम मार्केटिंग की मूल बात भूल जाते हैं।’अपनी किताब के लिए अपनाई गई क्रिएटिव मार्केटिंग रणनीति के बारे में उन्‍होंने बताया, ‘द इम्मॉरटल्स ऑफ मेलुहा’ मेरी पहली किताब थी और इसके बिजनेस की हालत ऐसी थी कि किसी भी पब्लिशर्स ने इसे प्रोत्‍साहित नहीं किया। इसलिए सबसे पहली दिक्‍कत तो यह थी कि अपनी किताब को लोगों के नोटिस में लाया जाए। इसके लिए मैंने एक पॉवर पॉइंट प्रजेंटेशन तैयार किया और विभिन्‍न बुकस्‍टोरी की श्रंखला जैसे क्रॉसवर्ड और लैंडमार् आदि के पास गया। वे सभी लोग मेरे आइडिया से आसानी से सहमत हो गए। इनमें एक आयडिया यह था कि मैंने उन्‍हें एक बुकलेट दी जिसमें मेरी किताब का पहला चैप्‍टर था और मैंने उनसे इसे कैश काउंटर पर डिस्‍प्‍ले करने को कहा, ताकि ग्राहक उसे मुफ्त में ले सकें। इस बात की पूरी संभावना थी कि कई लोग इसे उठा लेंगे और लोगों ने ऐसा किया भी। जब उन्‍हें किताब का पहला चैप्‍टर बहुत अच्‍छा लगा तो वे स्‍टोर पर वापस गए और किताब के बारे में पूछा। हमने इस चैप्‍टर को किताब से दो हफ्ते पहले ही लॉन्‍च कर दिया था। ऐसे में स्‍टोर पर किताब खरीदने के लिए लोगों की भीड़ जुटने लगी और उन्‍होंने इसकी लॉन्चिंग से पहले ही अपने ऑर्डर बुक कर दिया। इस तरीके से हमें अच्‍छा डिस्‍प्‍ले मिल गया। इस आइडिया ने इसलिए इतना काम किया क्‍योंकि पहली बार किसी ने इस तरह का प्रयास किया था।’क्रिएटिव मार्केटिंग की रणनीति के बारे में उन्‍होंने कहा, ‘बुक के विजुअल इफेक्‍ट और भावनाओं को लोगों तक पहुंचाने के लिए हमने एक ट्रेलर फिल्‍म भी लॉन्‍च की। हमने एक मॉडल को लिया। हमने कुछ स्‍पेशल इफेक्‍ट्स डालते हुए क्रोमा स्‍क्रीन के सामने शूटिंग की और तौफीक कुरैशी का म्‍यूजिक उसमें शामिल किया और इसके बाद उसे यूट्यूब पर अपलोड कर दिया। मेरी अगली किताब द सीक्रेट ऑफ नागाज के लिए हमने ज्‍यादा पैसे लगाकर प्रोफेशनल ट्रेलर फिल्‍म बनाई और इसे रा-वन (Ra-One) मूवी के साथ मूवी स्‍क्रीन पर रिलीज कर दिया। इसका नतीजा यह हुआ कि किताब तेजी से बिकनी शुरू हो गई और इसकी बिक्री उससे ज्‍यादा हो गई जितनी ‘द इम्मॉरटल्स ऑफ मेलुहा’ तब तक डेढ़ साल में बिकी थी। इसके बाद ‘द ओथ ऑफ द वायुपुत्राज’लॉन्‍च हुई। यह किताब इतना रेवेन्‍यू कमा रही थी जितनी कोई मध्‍यम आकार की बॉलिवुड मूवी कमाती है। इसलिए हमने इसे ऑरिजनल साउंड ट्रैक पर मशहूर गायक जैसे सोनू निगम, बिक्रम घोष जैसे गायकों को साथ लेकर म्‍यूजिक विडियो तैयार किया और इस विडियो को टीवी चैनल्‍स जैसे एमटीवी (MTV) पर चलाया। इससे अंदाजा लगाया जा सकता है कि बिजनेस की रणनीति में मार्केटिंग कितना बड़ा काम करती है।’

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