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मुंबई में रेप, यौन उत्पीड़न के मामलों में तीन गुना बढ़ोतरी : सर्वेक्षण

96859-423800-minorमुंबई: महानगर मुंबई में वर्ष 2010-11 से अब तक बलात्कार एवं उत्पीड़न जैसे अपराधों में तीन गुना वृद्धि देखी गई है। शहर के एक एनजीओ द्वारा कराए गए सर्वेक्षण में यह नतीजे सामने आए हैं जिससे महिलाओं , बच्चों और वरिष्ठ नागरिकों की सुरक्षा पर सवाल खड़ा हो गया है ।

प्रजा फाउंडेशन के संस्थापक और प्रबंध न्यासी निताई मेहता ने अपने फाउंडेशन के सर्वेक्षण के हवाले से बताया कि वर्ष 2014 में 2013 के मुकाबले बलात्कार के मामलों में 49 प्रतिशत की वृद्धि देखी गई, वहीं उत्पीड़न-छेड़खानी के मामलों में 39 प्रतिशत की वृद्धि दर्ज हुई। मेहता ने कहा कि यदि चार साल के अंतराल में देखा जाए तो वर्ष 2010-11 से 2014-15 के बीच बलात्कार के मामलों में 290 प्रतिशत और उत्पीड़न के मामलों में 247 प्रतिशत की वृद्धि हुई है।

उन्होंने कहा कि 2010-11 में बलात्कार के केवल 165 मामले दर्ज किए गए थे जबकि 2014-15 में इनकी संख्या 643 हो गयी। निताई मेहता ने बताया कि एक अन्य बड़ा मुद्दा बलात्कार मामलों में दोषी ठहराए जाने का है। सर्वेक्षण के अनुसार, ‘वर्ष 2014 में ऐसे मामलों में 27 प्रतिशत को सजा हुई जबकि पिछले साल ब्रिटेन में यही प्रतिशत 57 था।’ हालांकि चेन छीनने की घटनाओं में पिछले सालों के मुकाबले वर्ष 2014-15 में 44 प्रतिशत की गिरावट देखी गई है।

मेहता ने कहा कि वाहन चुराने के मामलों और दंगों में वर्ष 2013-14 के मुकाबले 2014-15 में गिरावट दर्ज की गई है। यद्यपि पिछले चार सालों में शहर में कुल अपराधों में कमी आई है लेकिन वर्ष 2013-14 के मुकाबले 2014-15 में हत्या के मामलों में बढ़ोत्तरी सर्वेक्षण में नजर आई है।

दक्षिण मुंबई में वर्ष 2014-15 में सबसे ज्यादा अपराधिक मामले लगभग 9203 दर्ज किए गए। यह मामले कोलाबा, बायकुला, वर्ली और मालाबार हिल्स में दर्ज हुए हैं जिनमें ज्यादातर मामले चोरी से संबंधित हैं। वहीं दक्षिण-मध्य मुंबई क्षेत्र में सबसे ज्यादा बलात्कार के मामले दर्ज किए गए। इस क्षेत्र में चेंबूर, सियोन-कोलीवाड़ा और माहिम के इलाके आते हैं।

इस एनजीओ ने शहर भर में लगभग 22850 गृहवासियों के बीच इस सर्वेक्षण को अंजाम दिया। इनमें से दक्षिण मुंबई के लगभग 51 प्रतिशत लोगों ने माना कि वह सबसे ज्यादा अपराध का सामना कर रहे हैं। इसके अलावा दक्षिण मुंबई के 40 प्रतिशत लोग मानते हैं कि उनकी महिलाएं, बच्चे और बुजुर्ग सुरक्षित नहीं है।

मेहता ने बताया कि इनमें से करीब 75 प्रतिशत लोगों ने अपराध के संबंध में पुलिस से संपर्क किया और इन लोगों में से 53 प्रतिशत लोग पुलिस के काम से संतुष्ट नजर आए। सर्वेक्षण में यह भी सामने आया है कि पुलिस में 11 प्रतिशत स्टाफ की कमी है। हालांकि पुलिस उपायुक्त (डिटेक्शन) धनंजय कुलकर्णी इस कमी को 1.35 प्रतिशत बताते हैं।

 

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