मुम्बई में आतंकी हमला खुफिया नाकामी का नतीजा
न्यूयॉर्क। मुंबई को 2008 में दहलाने वाला हमला भारत, अमेरिका और ब्रिटिश खुफिया एजेंसियों के बीच तालमेल की नाकामी का नतीजा थी। एडवर्ड स्नोडेन की ओर से लीक अमेरिकी खुफिया दस्तावेजों से पता चला है कि अगर तीनों खुफिया एजेंसियों ने साजिश के तारों को मिल बैठकर जोड़ने की कोशिश की होती तो शायद मुंबई उस बड़ी तबाही से बच सकती थी। खोजी पत्रकारिता के लिए मशहूर अमेरिकी पत्रिका प्रोपब्लिका, न्यूयॉर्क टाइम्स और पीबीएस सीरिज फ्रंटलाइन ने अपनी रिपोर्ट ‘इन 2008 मुंबई किलिंग्स, पाइल्स ऑफ स्पाई डाटा, बट एन अनकंप्लीटेड पजल’ में खुफिया एजेंसियों के बीच संपर्क और समन्वय की इसी कमी को उजागर किया है। भारत और अमेरिका के पूर्व खुफिया अफसरों के हवाले से तैयार रिपोर्ट में कहा गया है कि ब्रिटिश खुफिया एजेंसी जीसीएचक्यू भी लश्कर ए तैयबा की तकनीकी शाखा के मुखिया जरार शाह की इंटरनेट गतिविधियों की निगरानी कर रही थी। लेकिन अमेरिका को भारत और ब्रिटेन की इस खुफिया कवायद की भनक तक नहीं थी। अमेरिका ने भी इंटरनेट और खुफिया एजेंटों की मदद से बाद में ऐसी साजिश के तार खोजे थे। लेकिन 2001 में अमेरिका पर हमले के बावजूद अत्याधुनिक खुफिया उपकरणों से लैस ये एजेंसियां साझा प्रयास से आगे बढ़ने में विफल रहीं। इसका नतीजा था कि समय रहते असली खतरे को नहीं भांपा जा सका। हालांकि अमेरिका ने हमले के ठीक पहले कई बार भारतीय खुफिया और सुरक्षा एजेंसियों को ताज होटल और मुंबई के कई अन्य पर्यटक स्थलों पर हमले की साजिश के बारे में अलर्ट भेजा था। लेकिन भारतीय खुफिया एजेंसियां भी साजिश का पर्दाफाश नहीं कर सकीं।
भारतीय सुरक्षा एजेंसियों ने नहीं दिखाई मुस्तैदी
सितंबर और अक्तूबर में समुद्र के रास्ते हमलावरों को मुंबई भेजने की लश्कर की कोशिश नाकाम रही। इस दौरान अमेरिकी खुफिया एजेंसी सीआईए ने भारत को ताज होटल और अन्य ठिकानों पर हमले के अलर्ट भी भेजे। फिर ताज होटल समेत कई जगहों की अस्थायी तौर पर सुरक्षा बढ़ा भी दी गई। 18 नवंबर को संदिग्ध आतंकियों से लैस एक नौका के मुंबई की ओर बढ़ने का अलर्ट भी भेजा गया। लेकिन फिर इसमें ढिलाई बरती गई। चौबीस नवंबर तक शाह कराची पहुंच चुका था जहां उसने अबु जुंदाल नाम के एक भारतीय आतंकवादी की मदद से इलेक्ट्रॉनिक कंट्रोल रूम स्थापित किया। यह जानकारी जुंदाल ने भारतीय अधिकारियों को पूछताछ में दी थी। एजेंसियां