राजनीति

मुलायम की बहू अपर्णा की योगी से मुलाकात अखिलेश के लिए चुनौती…

सूबे की सियासत में नई चर्चाओं का दौर शुरू

लखनऊ (एजेंसी)। एक सप्ताह के अंदर ही मुलायम सिंह यादव की छोटी बहू अपर्णा यादव की उत्तरप्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के साथ दो मुलाकात होने के बाद सूबे की सियासत में नई चर्चाओं का दौर शुरू हो गया है। मुलायम के छोटे बेटे प्रतीक और बहू अपर्णा यादव की मुख्यमंत्री से इन मुलाकातों से यह तो स्पष्ट संकेत मिल रहा है कि उनकी योगी से नजदीकी है। लेकिन राजनीतिक विश्लेषक इसके सियासी मायने भी खोज रहे हैं।

इसके पीछे सबसे बड़ा कारण यह माना जा रहा है कि भले ही सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव चुनाव हार गए हैं लेकिन पार्टी में पूरी तरह से उनकी पकड़ मजबूत हो चुकी है। उसको इस तरह से समझा जा सकता है कि चुनाव बाद उन्होंने अपने करीबी राम गोविंद चौधरी को नेता प्रतिपक्ष बनाया है। यह इसलिए भी महत्वपूर्ण है क्योंकि इस चुनाव में आजम खान और शिवपाल यादव की अनदेखी की गई है। संभवतया इन्हीं वजहों से शिवपाल उसके बाद की सपा विधायकों की बैठक में हिस्सा लेने भी नहीं पहुंचे। इसको उनकी नाराजगी से जोड़कर देखा जा रहा है। अपर्णा और प्रतीक शिवपाल खेमे के करीबी ही माने जाते रहे हैं।

सपा की सियासत में शिवपाल के हाशिए पर जाने और लखनऊ कैंट से अपर्णा यादव के चुनाव हारने के बाद इनकी स्थिति पार्टी में कमजोर हुई है। लिहाजा सपा में भविष्य की राजनीति में अखिलेश युग के बीच अपर्णा और प्रतीक की सियासी राह मुश्किल दिखती है। इसलिए इनमें असुरक्षा की भावना का पैदा होना बहुत स्वाभाविक है। लिहाजा छोटी बहू के इस कदम को दबाव की रणनीति के रूप में देखा जा रहा है। यानी सपा में अपने लिए ठोस जमीन की चाह और ऐसा नहीं होने पर कुनबे से बाहर की सियासी राह। इसकी पृष्ठभूमि में चुनाव के अंतिम चरण से पहले प्रतीक यादव की मां के चर्चित इंटरव्यू को भी देखा जा सकता है। उसमें भी उन्होंने संकेत दिए थे कि वह यह चाहती हैं कि उनके बेटे-बहू को राजनीति में जगह मिले। अब अपर्णा और प्रतीक के इस कदम को उसी स्थान या सियासी जमीन की तलाश के रूप में देखा जा रहा है क्योंकि अपर्णा ने बीजेपी में जाने की संभावनओं को पूरी तरह से खारिज भी नहीं किया है।

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