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मेरा जिस्म मेरी मर्जी के नारे पर क्यों बंट गया है पाकिस्तान

नई दिल्ली : पाकिस्तान में मेरा जिस्म मेरी मर्जी के नारे पर राजधानी इस्लामाबाद सहित तमाम शहरों में निकाले गए औरत मार्च पर कट्टरपंथियों ने हमला कर दिया। पाकिस्तान में औरत मार्च से पैदा हुए विवाद पर टेलीविजन कार्यक्रम में भाग लेते हुए सामाजिक कार्यकर्ता और स्तम्भकार मेमल सरफराज ने कहा कि औरतें जब अपने हक मांगने के लिए सड़कों पर उतरती है तो पितृसत्तात्मक समाज के पैरोकार भड़क जाते हैं। जबकि हकीकत यह है कि औरतें कुछ भी ऐसा नहीं मांग रही हैं जो आपत्तिजनक या गैर कानूनी है। पाकिस्तान के संविधान में उन हकों की गारंटी दी गई है। यहां तक कि औरतों की मांगें दीन की कसौटी पर भी खरी हैं। यह अच्छी बात है कि पार्लियामेंट, सभा-सेमीनारों, टेलीविजन और अखबारों के अलावा अब औरतों के हक पर घरों में भी चर्चा हो रही है। मेमल सरफराज के विचारों से असहमति जताते हुए नादिया मेराज ने कहा कि औरतों के हक जब ड्राइंग रूम में डिस्कस होंगे और उन पर यूनिवर्सिटी में चर्चा होगी तो बात आगे बढ़ेगी, लेकिन जब तक पार्लियामेंट में कानून बनाकर उस पर कड़ाई और सचाई से अमल नहीं किया जाता तब तक औरतों को उनका हक नहीं दिया जा सकता है। औरत मार्च जैसी कोशिशों से इसे कंट्रोवर्सियल बनाकर कुछ हासिल नहीं होगा। इससे महिलाओं के आंदोलन को कोई मदद नहीं मिलेगी। मेरा जिस्म मेरी मर्जी के नारे को देश में सभी लोग समझ नहीं पा रहे हैं। इससे नफरत फैल रही है। इस नारे को गलत समझा जा रहा है। इसे बेहयाई का पर्याय माना जा रहा है। अगर समाज में यह गलत धारणा बनी है तो इस पर जागरूकता फैलाई जानी चाहिए।

पाकिस्तान में महिलाओं को अपनी मर्जी से जीने का अधिकार नहीं है। लड़कियों की कम उम्र में शादी कर दी जाती है और अगर कोई लड़की अपनी मर्जी चलाना चाहती है तो झूठी शान के नाम पर उसकी हत्या कर दी जाती है। महिलाओं के लिए पाकिस्तान दुनिया का छठां सबसे खतरनाक देश है। आंकड़ों की बात की जाए तो हर 37 मिनट पर एक महिला की मौत हो जाती है जिसकी वजह कम उम्र में शादी है।पाकिस्तान के एसिड सर्वाइवर्स फाउंडेशन के अनुसार हर साल महिलाओं पर एसिड अटैक के 150 मामले दर्ज किए जाते हैं। एसिड अटैक के पीछे घरेलू झगड़े मुख्य वजह है। इसके अलावा कायदे के कपड़े न पहनने या निकाह का प्रस्ताव खारिज करने के कारण भी महिलाओं को ऐसे हमले झेलने पड़ते हैं। पाकिस्तान में कत्ल के हर पांच में एक मामला झूठी शान में हत्या का होता है। इस तरह के ज्यादातर वारदातें (92 फीसदी) पतियों द्वारा की जाती है। इसके पीछे विवाहेतर संबंध मुख्य वजह मानी गई है।

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