मुंबई: संसद के मानसून सत्र से पहले मोदी कैबिनेट विस्तार की अटकलों का बाजार गर्म है। पीएम नरेंद्र मोदी अपने मंत्रियों के कामकाज की समीक्षा भी कर रहे हैं। इसी बीच बिहार जदूय के राष्ट्रीय अध्यक्ष आरसीपी सिंह ने शनिवार को कहा कि केंद्रीय मंत्रिमंडल में उनकी पार्टी को भी हिस्सेदारी मिलनी चाहिए। उन्होंने कहा कि सांकेतिक नहीं बल्कि केंद्रीय मंत्रिमंडल में एनडीए के घटक दलों को सम्मानजनक जगह मिलनी चाहिए।
30 मई को नरेंद्र मोदी की सरकार- 2 ने दो साल पूरे कर लिए हैं। लेकिन अभी भी मोदी कैबिनेट के पहले मंत्रिमंडल का विस्तार नहीं हो सका है। पीएम मोदी की टीम में अभी उनके अलावा 21 कैबिनेट और 9 राज्यमंत्री स्वतंत्र प्रभार और 29 राज्य मंत्री हैं। कुछ मंत्रियों के पास कई मंत्रालय होने से मंत्रि परिषद के साथियों की कुल संख्या 54 है। सूत्रों के अनुसार, जिन लोगों को मंत्रिपरिषद के भावी फेरबदल और विस्तार में शामिल किया जा सकता है, उनमें असम के पूर्व मुख्यमंत्री सर्वानंद सोनोवाल, बिहार के पूर्व उपमुख्यमंत्री सुशील मोदी, सांसद ज्योतिरादित्य सिंधिया, बैजयंत पांडा के नाम चर्चा में हैं।
मोदी सरकार में अभी भाजपा के सहयोगी दलों से एक भी कैबिनेट मंत्री नहीं है। सहयोगी दलों में अकेले रिपब्लिकन पार्टी के रामदास आठवले राज्य मंत्री हैं। ऐसे में कुछ और सहयोगी दलों को भी विस्तार में जगह दी जा सकती है। बता दें कि लोकसभा चुनाव 2019 में बिहार की 40 सीटों में से 34 सीटों पर बीजेपी और जेडीयू ने 17-17 सीटों पर चुनाव लड़ा था। बाकी 16 सीटों पर रामविलास पासवान की पार्टी लोजपा के उम्मीदवार खड़े हुए थे। नीतीश कुमार केंद्र में नरेंद्र मोदी के मंत्रिमंडल में ज्यादा हिस्सेदारी की उम्मीद कर रहे थे।
क्योंकि 6 सीटों पर लड़ने वाली लोजपा को केंद्रीय मंत्रिमंडल में जगह दी गई थी। तब रामविलास पासवान नरेंद्र मोदी कैबिनेट में शामिल हुए थे। नीतीश कुमार यह चाहते थे कि उनकी पार्टी से कम से कम तीन सांसद को केंद्रीय मंत्रिमंडल में जगह मिलनी चाहिए थी। उन्होंने नरेंद्र मोदी के मंत्रिमंडल में एक को मंत्री बनाए जाने से नाराज होकर अंतिम समय में मंत्रिमंडल में शामिल होने से इनकार कर दिया था।