लखनऊ

मौके खोजे नहीं, पैदा किए जाते हैं : डाॅ. जगदीश गाँधी


लखनऊ : इंतजार करने की बजाय वर्तमान हालात में ही अपने लिए मौके खोज लें। हर इंसान में किसी न किसी तरह की रचनात्मकता जरूर होती है। आप यह कहकर चुप नहीं बैठ सकते कि मैं क्रिएटिव अर्थात रचनात्मक नहीं हूँ। हमें लगातार अपनी रचनात्मकता को निखारने की कोशिश करनी चाहिए, ताकि हम और बेहतर कर सकें। कुछ नया पाने के लिए कुछ पुराना खोने के लिए भी तैयार रहे। क्रिएटिव वह है, जो भविष्य के स्वप्न देखता है। क्रिएटिव वह है, जो केवल स्वप्न ही नहीं देखता बल्कि उन स्वप्नों को साकार करने के लिए काम करता है। क्रिएटिव वह है, जो अंधेरों में भी कूदने का साहस रखता है। क्रिएटिव वह है, जो चुनौतियों को स्वीकारने में तत्पर रहता है। क्रिएटिव वह है, जो निर्बलों का आधार बनता है। क्रिएटिव वह है, जो लोक कल्याण की राह में बिना हिसाब किए स्वयं को झोंक देता है। क्रिएटिव वह है, जो किसी उद्देश्य के लिए कुछ सकारात्मक एवं सृजनात्मक करने के लिए स्वयं को लगाता है।

हम आत्मा की एक अनंत यात्रा पर है : सबसे बड़ा रचनाकार परमात्मा हमारी आत्मा का पिता है। हम ब्रह्माण्ड के उस महान रचनाकार के पुत्र है। रचनात्मकता की राह में बढ़ती उम्र कोई बाधा नहीं होती। जीवन के नियमों और अपने अवचेतन मन के आश्चर्यों में जीवन की अंतिम सांस तक रूचि लें। कोई ऐसा काम करें, जिसे आप हमेशा से करना चाहते थे। नए विषयों का अध्ययन करें और नए विचारों की जाँच करें। हम जीवन के अविराम, अथक, अनंत महासागर में महत्वपूर्ण सीढ़ियों की पायदान पर हैं। हम आत्मा की अविराम, अथक, अनंत यात्रा पर हैं। मानव जीवन आत्मा का एक पड़ाव है, अन्त नहीं।

सीखने की कोई उम्र नहीं होती : रोमन देशभक्त मार्कस पोर्सियस केटो ने अस्सी साल की उम्र में ग्रीक भाषा सीखी। महान जर्मन-अमेरिकन कलाकार मैडम अर्नेस्टाइन शूमैन-हेंक दादी बनने के बाद अपनी संगीत सफलता के शिखर पर पहुँची। यूनानी दार्शनिक सुकरात ने वाद्ययंत्र बजाना तब सीखा, जब वे अस्सी साल के थे। माइकलएंजेलो अस्सी साल की उम्र में अपने सबसे महान कैनवास पर पेटिंग कर रहे थे। अस्सी साल की उम्र में सियोस सायमनाइडस ने कविता का पुरस्कार जीता, और लियोपाॅल्ड वाॅन रैंके ने अपनी हिस्ट्री आफ द वक्र्ड शुरू की, जिसे उन्होंने बानवे साल की उम्र में पूरा किया। अठासी साल की उम्र में जाॅन वेस्ली मेथोडिज्म पर भाषण दे रहे थे और मार्गदर्शन दे रहे थे।
जीवन की अंतिम सांस तक जीने का उत्साह बना रहना चाहिए : एक सौ दसवें जन्मदिन पर कैलमेंट को दुनिया भर से बधाइयाँ और शुभकामनाएँ मिली। एक सौ अठाहरवें जन्मदिन ने उन्हें इतिहास में सबसे अधिक उम्र का व्यक्ति बना दिया। जब उनसे पूछा गया कि यह कैसे सभंव हुआ? तो वे बोलीं, ‘‘मैंने अपने जीवन के हर मौके का सदुपयोग किया।’’ एक सौ बाईस साल की होने पर भी उनकी ललक, उत्साह व सकारात्मकता हमेशा की तरह मंत्रमुग्ध करने वाली थी।

हमारे प्रत्येक कार्य-व्यवसाय परमात्मा की सुन्दर प्रार्थना बने : शीर्षस्थ हार्ट सर्जन माइकल डेबेकी ने खून का पहला रोलर पंप 1932 में ईजाद किया था। उनका बनाया पंप आज भी बाइपास सर्जरी में प्रयुक्त होता है। नब्बे साल की उम्र में डाॅक्टर डेबेकी को एक नए आविष्कार पर प्रयोग शुरू करने की अनुमति मिली। यह एक छोटा पंप था, जिसे गंभीर हृदय रोगियों के सीने में लगाया जा सकता था। डेबेकी सिर्फ शोध से ही संतुष्ट नहीं थे। वे सर्जरी भी करते रहे। उनके बारे में एक सहयोगी ने कहा था, ‘‘उन्होंने जितना किया है, उतना करने के लिये बाकी लोगों को पाँच-छह जन्म लेने पड़ेगे।’’ डेबेकी ने नब्बे साल की उम्र में अपने जीवनदर्शन का सार इस तरह से व्यक्त किया था, ‘‘जब तक आपके सामने चुनौतियाँ हैं और आप शारीरिक तथा मानसिक रूप से सक्षम हैं, तब तक जीवन रोमांचक और स्फूर्तिवान है।

Related Articles

Back to top button