व्यापार
मौद्रिक नीति समीक्षा आज, ब्याज दर घटने की आस
बैंकिंग क्षेत्र का नियामक भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) फरवरी की नीतिगत दरों की समीक्षा बैठक में ब्याज दरों में चौथाई फीसदी की कटौती कर सकता है। रिजर्व बैंक के गवर्नर उर्जित पटेल की अगुवाई वाली मौद्रिक नीति समिति (एमपीसी) की बैठक मुंबई में मंगलवार को शुरू हो चुकी है। बैंक अभी इस पर सीधे-सीधे कुछ कहने से बच रहे हैं कि यदि नीतिगत ब्याज दर में कटौती होगी तो वे इसके बाद अपनी ब्याज दर में कटौती करेंगे या नहीं। सार्वजनिक क्षेत्र में देश के दूसरे बड़े बैंक, पंजाब नेशनल बैंक की सीईओ एवं एमडी उषा अनंतसुब्रमणियन से जब यह सवाल पूछा गया तो उन्होंने कहा कि एमसीएलआर की हर महीने समीक्षा होती है।
अभी कुछ नहीं बता सकते। नोटबंदी के बाद बैंक में काफी राशि जमा हुई है। अब ये देखना है कि ये जमा कितने दिनों तक बनी रहती है। उसके बाद जरूरत के आधार पर ब्याज दर पर कोई फैसला होगा। वित्त मंत्रालय के एक अधिकारी ने बताया कि पटेल की अगुवाई वाली छह सदस्यीय मौद्रिक नीति समिति की दो दिनों की बैठक मुंबई में मंगलवार को शुरू हो चुकी है और फरवरी की नीतिगत दर की घोषणा बुधवार को दिन में होगी। इस दौरान वर्ष 2016-17 के लिए छठी और आखिरी मौद्रिक नीति समीक्षा होगी। उल्लेखनीय है कि नीतिगत ब्याज दर के आधार पर ही ऋण पर ब्याज दर तय होती है।
क्रेडिटर रेटिंग एजेंसी इक्रा के प्रबंध निदेशक एवं मुख्य कार्यकारी अधिकारी नरेश टक्कर का कहना है कि फरवरी में होने वाली नीतिगत दरों की समीक्षा में रेपो दर में चौथाई फीसदी की कटौती की संभावना है। यदि हम देखें तो खुदरा कीमतों पर आधारित महंगाई की दर के पांच फीसदी से नीचे रहने की संभावना है। साथ ही वर्ष 2017-18 के बजट में राजकोषीय स्थिति को संतुलित रखने के लिए पर्याप्त कदम उठाए गए हैं। इसलिए कटौती की गुंजाइश है। उषा अनंतसुब्रमणियन से जब इस बारे में पूछा गया तो उन्होंने बाजार में चल रही अटकलों का हवाला देते हुए कहा कि बाजार में तो आम राय यही है कि रेपो रेट में चौथाई फीसदी की कटौती होगी।
बैंकों पर भी बनेगा कटौती का दबाव
विशेषज्ञों का कहना है कि यदि नीतिगत ब्याज दर में कटौती होती है तो बैंकों पर ब्याज दर घटाने का कुछ दवाब तो बनेगा ही। हालांकि बैंकों ने बीते जनवरी में ही ब्याज दरों में उल्लेखनीय कटौती की है। ऐसे में इसमें कुछ और कमी कर लोन बाजार में माहौल गरमाने की कोशिश हो सकती है। ऐसा इसलिए कि अभी बैंकों से लोन लेने वालों की संख्या काफी कम है। इसलिए तो रिजर्व बैंक की मौद्रिक समीक्षा से दो दिन पहले ही सार्वजनिक क्षेत्र के बैंक ऑफ महाराष्ट्र ने अपनी बेंचमार्क दर में 0.2 फीसदी तक की कटौती कर दी है।