यह व्रत आपको सौभाग्यशाली बनाता है
हमारे धार्मिक शास्त्रों में व्रत को बहुत महत्वपूर्ण बताया गया है. शास्त्रों के अनुसार व्यक्ति इस माध्यम से अपनी सभी मनोकामना पूर्ण कर सकता है. सप्ताह का हर दिन किसी न किसी देवी देवता से सम्बंधित होता है और इन दिनों में सम्बंधित देवी देवता का व्रत रखने व पूजन करने का विधान है. इसी प्रकार शुक्रवार के दिन माता संतोषी और माता लक्ष्मी की पूजा और व्रत रखने का दिन माना गया है.
हमारे शास्त्रों में माता संतोषी के 16 शुक्रवार व्रत को विशेष बताया गया है. यदि कोई व्यक्ति 16 शुक्रवार का व्रत पूर्ण कर लेता है, तो उसके जीवन की सभी समस्याओं का अंत हो जाता है और उसके जीवन में सुख, समृद्धि, शांति, धन, वैभव की कोई कमी नहीं होती है. लेकिन माता संतोषी का व्रत करते समय कुछ नियमो व विधि का पालन करना अनिवार्य है. तो आइये जानते हैं माता संतोषी के व्रत की विधि व नियम कौन से हैं?
माता संतोषी व्रत विधि- माता संतोषी का व्रत करने के पूर्व अपने घर की सम्पूर्ण साफ़-सफाई कर लें इसके बाद शुक्रवार के दिन सूर्योदय के पूर्व उठकर स्नानादि कर स्वच्छ वस्त्र धारण करें. अब अपने घर के मंदिर में माता संतोषी की तस्वीर की स्थापना कर, एक पात्र में जल भरकर उसे एक कटोरी में गुड़ व चना रखकर उस कटोरी से जल के पात्र को ढंक दें. अब माता संतोषी की तस्वीर के समक्ष बैठकर उनकी कथा का वाचन करें.
कथा पूर्ण हो जाने के पश्चात माता की आरती कर कटोरी में रखे गुड़ चने का प्रसाद अपने परिवार के सभी व्यक्तियों में बाँट दें और पात्र में रखे जल का छिड़काव अपने समस्त घर में करें व बचे हुए जल को किसी पौधे में डाल दें. इस क्रिया को यदि आप 16 शुक्रवार कर लेते हैं, तो आपकी सभी समस्याएँ दूर हो जाती हैं तथा आपके घर में सुख, समृद्धि व शांति हमेशा बनी रहती है.
इस नियम का पालन- माता संतोषी का व्रत रखते समय आपको इस बात का ध्यान रखना बेहद जरूरी है की माता संतोषी के व्रत में किसी भी प्रकार की खट्टी चीजों का सेवन करना वर्जित है. इसलिए व्रत के दौरान आपके व आपके परिवार के लोगों को किसी भी प्रकार की खट्टी चीजों का सेवन नहीं करना चाहिए.