अद्धयात्मउत्तर प्रदेश

यहां भगवान के भोग में चढ़ती है चावल-उड़द दाल की खिचड़ी, मनाया जाता है ‘खिचड़ी मेला’

उत्तर प्रदेश के गोरखपुर में गोरखनाथ मंदिर में भगवान को भोग के लिए चावल और उड़द दाल की खिचड़ी चढाने की परम्परा है। यही नहीं 3-1450615970मकर संक्रांति पर्व के दौरान यहां ‘खिचड़ी मेला’ भी पारम्परिक और धार्मिक हर्षोल्लास के साथ मनाया जाता है। इस दौरान इस मंदिर में आस्था, उत्साह और मनोरंजन का अद्भुत समागम देखने को मिलता है।  
 
पूर्वी उत्तर प्रदेश का एक महीने से भी ज्यादा समय तक चलने वाला सबसे बड़ा खिचड़ी मेला होता है। मंदिर में आने वाले श्रद्धालुओं की संख्या हज़ारों नहीं बल्कि लाखों में होती है। ख़ास बात तो यह है कि यहां पडोसी देश नेपाल से भी बड़ी संख्या में लोग आते हैं। 
 
मकर संक्रांति के मौके पर लगने वाले ‘खिचड़ी मेले’ में अलग-अलग शहरों से पहुंचे लोगों की ओर से लगाईं गई तरह-तरह स्टाल्स भी खासा आकर्षण का केंद्र रहती है। 
 
यह है मान्यता 
मान्यता है कि गुरू गोरक्षनाथ एक बार हिमाचल के कांगड़ा क्षेत्र में घूमते हुए जा रहे थे। जब वे ज्वाला देवी धाम को देखते हुए वहां से गुजर रहे थे, तब उन्हें देखकर ज्वाला देवी प्रकट हुई और धाम में आतिथ्य स्वीकार करने का आग्रह किया। वहां पर मद्य-मांस का भोग लगता था और गोरक्षनाथ जी योगी थे। लेकिन मां ज्वाला देवी के आग्रह को नकार नहीं सकते थे। 
 
मां ज्वाला देवी ने गुरू गोरक्षनाथ जी से कहा कि आप भिक्षा मांगकर अन्न ले आइये और वे चूल्हा जलाकर जल गरम कर लेंगी।  
 
देवी ने पात्र में जल भरकर चूल्हे पर चढ़ा दिया, जो आज भी जल रहा है, लेकिन गोरक्षनाथ जी उस स्थान पर लौटकर नहीं पहुंचे। वे भ्रमण करते हुए यहां वर्तमान गोरखपुर आ पहुंचे। 
 
त्रेता युग में यह क्षेत्र वन से घिरा हुआ था। गोरक्षनाथ जी को वनाच्छादित यह क्षेत्र तप करने के लिये अच्छा लगा और वो यहां तप करने लगे। 
 
भक्तों ने गुरू गोरक्षनाथजी के लिये एक कुटिया बना दी। उन्होंने गोरक्षनाथ जी के पात्र में खिचड़ी भरना शुरू किया। 
 
यह मकरसंक्रांति की तिथि थी। बस तभी से हर साल गोरक्षनाथ मंदिर में खिचड़ी का महापर्व मनाया जाता है। उसी समय से गोरक्षनाथ मंदिर में खिच़ड़ी मेला लगता है। 
 
मकर संक्रांति के दिन सुबह तड़के तीन बजे मंदिर के पट खोल दिये जाते हैं। इसके बाद योगी आदित्यनाथ और मंदिर के अन्य पुजारियों द्वारा आरती की जाती है और खिचड़ी चढ़ायी जाती है। इसके बाद नेपाल के राजपरिवार कि खिचड़ी चढ़ाई जाती है। 

 

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