अद्धयात्म

यहां मिला है ये पर्वत, क्या इसी से हुआ था समुद्र मंथन?

images (19)देवताओं और असुरों द्वारा किए गए समुद्र मंथन की कथा हम सभी जानते हैं। इस कथा के अनुसार देवता व असुरों ने नागराज वासुकि की नेती बनाकर मंदराचल पर्वत की सहायता को समुद्र को मथा था। समुद्र मंथन से ही लक्ष्मी, चंद्रमा, अप्सराएं व भगवान धन्वंतरि अमृत लेकर निकले थे। आर्कियोलॉजी और ओशनोलॉजी डिपार्टमेंट ने सूरत जिले के पिंजरात गांव के पास समुद्र में मंदराचल पर्वत होने का दावा किया है।
 
(11 दिसंबर, शुक्रवार को इंटरनेशनल माउंटेन डे है। इस अवसर पर हम आपको बता रहे हैं धर्म ग्रंथों में वर्णित मंदराचल पर्वत के बारे में, जिससे समुद्र मंथन किया गया था।)
 
आर्कियोलॉजिस्ट मितुल त्रिवेदी के अनुसार बिहार, के भागलपुर के पास भी एक मंदराचल पर्वत है और गुजरात के समुद्र से निकला यह पर्वत भी उसी का हिस्सा लग रहा है। बिहार और गुजरात में मिले इन दोनों पर्वतों का निर्माण एक ही तरह के ग्रेनाइट पत्थर से हुआ है। इस तरह यह दोनों पर्वत एक ही हैं, जबकि आमतौर पर ग्रेनाइट पत्थर के पर्वत समुद्र में नहीं मिला करते। इसलिए गुजरात के समुद्र में मिला यह पर्वत शोध का विषय है। खोजे गए पर्वत के बीचोंबीच नाग आकृति भी मिली है। पर्वत पर नाग आकृति मिलने से ये दावा और भी पुख्ता होता है।

ये है समुद्र मंथन की पूरी कथा

धर्म ग्रंथों के अनुसार, एक बार महर्षि दुर्वासा के श्राप के कारण स्वर्ग श्रीहीन (ऐश्वर्य, धन, वैभव आदि) हो गया। तब सभी देवता भगवान विष्णु के पास गए। भगवान विष्णु ने उन्हें असुरों के साथ मिलकर समुद्र मंथन करने का उपाय सूझाया और ये भी बताया कि समुद्र मंथन को अमृत निकलेगा, जिसे ग्रहण कर तुम अमर हो जाओगे।
यह बात जब देवताओं ने असुरों के राजा बलि को बताई तो वे भी समुद्र मंथन के लिए तैयार हो गए। वासुकि नाग की नेती बनाई गई और मंदराचल पर्वत की सहायता से समुद्र को मथा गया। समुद्र मंथन से उच्चैश्रवा घोड़ा, ऐरावत हाथी, लक्ष्मी, भगवान धन्वंतरि सहित 14 रत्न निकले।
 
क्या सीखें?
समुद्र मंथन को अगर लाइफ मैनेजमेंट के नजरिए से देखा जाए तो हम पाएंगे कि सीधे-सीधे किसी को अमृत (परमात्मा) नहीं मिलता। उसके लिए पहले मन को विकारों को दूर करना पड़ता है तथा अपनी इंद्रियों पर नियंत्रण करना पड़ता है। समुद्र मंथन में 14 नंबर पर अमृत निकला था। इस 14 अंक का अर्थ है ये है 5 कमेन्द्रियां, 5 जनेन्द्रियां तथा अन्य 4 हैं- मन, बुद्धि, चित्त और अहंकार। इन सभी पर नियंत्रण करने के बाद में परमात्मा प्राप्त होते हैं।

 

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