यहां हैं मां सरस्वती के प्रसिद्ध मंदिर, बसंत पंचमी पर दर्शन करना माना गया है बेहद शुभ

आइए आपको अपने देश के ऐसे ही प्रमुख धार्मिक स्थलों के दर्शन कराते हैं, जहां बसंत पंचमी पर जाना बहुत शुभ माना गया है।
वैसे तो सभी देवी-देवता पूजनीय हैं, मगर मां सरस्वती बच्चों की भी प्रिय होती हैं क्योंकि वो विद्या की देवी हैं और इसके बिना हमारा जीवन निरर्थक समान हैं। हालांकि अन्य देवी-देवताओं की तरह मां सरस्वती के मंदिर बहुत कम देखने को मिलतेे हैं, मगर जहां हैं वहां मां सरस्वती की वर्षों से पूजा होती आ रही है। तो आइए आपको अपने देश के ऐसे ही प्रमुख धार्मिक स्थलों के दर्शन कराते हैं, जहां बसंत पंचमी पर जाना बेहद शुभ माना गया है।
मैहर का शारदा मंदिर
सरस्वती को मां शारदा भी कहते हैं। मध्यप्रदेश के चित्रकूट से लगे सतना जिले में मैहर शहर की लगभग 600 फुट की ऊंचाई वाली त्रिकुटा पहाड़ी पर मां दुर्गा के शारदीय रूप देवी शारदा का मंदिर है। मां मैहर देवी के मंदिर तक पहुंचने के लिए 1063 सीढि़यां तय करनी पड़ती हैं। मां शारदा देवी को पूरे देश में मैहर की शारदा माता के नाम से जाना जाता है।
पुष्कर का सरस्वती मंदिर राजस्थान के पुष्कर में ब्रह्मा का भी मंदिर है और विद्या की देवी सरस्वती का भी मंदिर है। यहां ये नदी भी हैं, जिन्हें उर्वरता व शुद्धता का प्रतीक माना जाता है।
श्रृंगेरी का मंदिर
यहां का शारदा मंदिर भी लोकप्रिय है। इसे शरादाम्बा मंदिर के नाम से जाना जाता है। ज्ञान और कला की देवी को समर्पित, शरादाम्बा, दक्शनाम्नाया पीठ को आचार्य श्री शंकर भागावात्पदा द्वारा सातवीं शताब्दी में बनाया गया था। किंवदंतियों के अनुसार, 14 वीं शताब्दी के दौरान इष्टदेव की चंदन की प्राचीन प्रतिमा को सोने और पत्थर से अंकित कर प्रतिस्थापित किया गया था।
कोट्टयम का सरस्वती मंदिर
केरल का अकेला ऐसा मंदिर है, जो देवी सरस्वती को समर्पित है। इस मंदिर को दक्षिण मूकाम्बिका के नाम से भी जाना जाता है, जो चिंगावनम के पास स्थित है। लोगों की मान्यता है कि इस मंदिर को किझेप्पुरम नंबूदिरी ने स्थापित किया था। उन्होंने इस प्रतिमा को खोजा और इसे पूर्व की तरफ मुख करके स्थापित किया। पश्चिम की तरफ मुख करके एक और प्रतिमा की स्थापना की गई, लेकिन उसका कोई आकार नहीं है। प्रतिमा के पास एक दीया है, जो हर वक्त जलकर प्रकाश प्रज्वलित करता रहता है।
श्री ज्ञान सरस्वती मंदिर
यह देश के प्रमुख सरस्वती मंदिर में से एक है। यह आंध्र प्रदेश के आदिलाबाद जिले में स्थित है। बासर मंदिर निजामाबाद से 50 किलोमीटर दूर गोदावरी नदी के किनारे स्थित है। पौराणिक कथाओं के अनुसार महाभारत युद्ध के बाद ऋषि व्यास शांति की खोज में निकले। वे गोदावरी नदी के किनारे कुमारचला पहाड़ी पर पहुंचे और देवी की आराधना की। उनसे प्रसन्न होकर देवी ने उन्हें दर्शन दिए। देवी के आदेश पर उन्होंने प्रतिदिन तीन जगह तीन मुट्ठी रेत रखी। चमत्कार स्वरूप रेत के ये तीन ढेर तीन देवियों की प्रतिमा में बदल गए जो सरस्वती, लक्ष्मी और काली कहलाईं।