यादव सिंह की 120 करोड़ की बेनाम संपत्ति आयकर विभाग करेगा जब्त, शुरू होगी कार्रवाई
नोएडा, ग्रेटर नोएडा व यमुना प्राधिकरण के पूर्व चीफ इंजीनियर और मौजूदा समय में जेल में बंद यादव सिंह पर आयकर विभाग का शिकंजा और कसने वाला है। अक्तूबर से यादव सिंह की संपत्ति अटैच करने की कार्रवाई शुरू होगी। 28 नवंबर 2014 को यादव सिंह व उनके सहयोगियों के यहां आयकर विभाग के छापों में बेनामी संपत्ति मिली थी। पूरी जांच पड़ताल के बाद अब आयकर विभाग संपत्ति अटैच करने की कार्रवाई करेगा। बताया जा रहा है कि 120 करोड़ रुपये से अधिक की संपत्ति अटैच होनी है।
यह है नया कानून
बेनामी संपत्तियों और लेनदेन पर रोक लगाने के उद्देश्य से केंद्र सरकार ने बेनामी लेनदेन कानून में 2016 में संशोधन किया था। इसमें बेनामी संपत्ति को सील करने और उसे जब्त करने का अधिकार जोड़ा गया है। नए कानून के तहत बेनामी संपत्ति पाए जाने पर सजा की अवधि को तीन साल से बढ़ाकर सात साल और बेनामी संपत्ति के बाजार मूल्य के 25 फीसदी के बराबर जुर्माने का प्रावधान किया गया है।
क्या है बेनामी संपत्ति
जब कोई चल या अचल संपत्ति किसी व्यक्ति को ट्रांसफर कर दे, लेकिन उसका असली लाभ ट्रांसफर करने वाले को ही मिलता रहे तो वह बेनामी संपत्ति कहलाती है। अभी हाल में ही आनंद कुमार की 400 करोड़ रुपये की बेनामी संपत्ति आयकर विभाग ने अटैच की थी।
बाहर न निकले यादव सिंह
सूत्र बताते हैं कि जेल में यादव सिंह छटपटा रहा है और किसी तरह से जमानत पर छूटने का प्रयास भी कर रहा है, लेकिन जांच इकाइयां चाहती हैं कि यादव सिंह जेल से बाहर न आए। जांच एजेंसियां मानती हैं कि यादव सिंह बाहर आते ही सबूतों को नष्ट करने का प्रयास करेगा। साथ ही, काली कमाई में जो सहभागी हैं, उन्हें सचेत भी कर सकता है। लिहाजा, एजेंसियां तमाम कार्रवाई करके उसे जेल की सलाखों में ही रखना चाहती हैं।
करीब 70 लोगों की लिस्ट है तैयार
सूत्र बताते हैं कि जांच एजेंसियां बड़ी की सावधानी से काम कर रही हैं। यादव सिंह के सहयोगियों की संख्या करीब 70 के आसपास है। उसमें अधिकारी, ठेकेदार व अन्य लोग भी शामिल हैं। अगर एक साथ सभी के खिलाफ कार्रवाई की जाएगी तो कोर्ट में सभी के खिलाफ एक साथ सबूत पेश करना मुश्किल होगा। यही कारण है कि एजेंसियां चाहती हैं कि पहले यादव सिंह के खिलाफ इतने सबूत पेश किए जाएं कि वह बाहर ही न आए। इससे बाद एक-एक करके अन्य के खिलाफ शिकंजा कसा जाएगा।
ईडी कर चुका है कुल 21.5 करोड़ की संपत्ति जब्त
करीब पांच साल पहले प्राधिकरण के चीफ इंजीनियर रहे यादव सिंह के ठिकानों पर आयकर विभाग ने छापा मारा था। तब से लेकर विभाग लगातार जांच पड़ताल करता रहा। सूत्र बताते हैं कि आयकर विभाग को करीब 120 करोड़ की ऐसी संपत्ति मिली है, जो अवैध तरीके से खरीदी गई है।
28 नवंबर 2014 में नोएडा, ग्रेटर नोएडा व यमुना प्राधिकरण के तत्कालीन चीफ इंजीनियर यादव सिंह व उसके सहयोगियों के यहां आयकर विभाग की 20 टीमों ने 30 स्थानों पर छापा मारा था। छापे में काली कमाई का खुलासा हुआ और ज्ञात आय से अधिक कई गुना संपत्ति का पता चला। काली कमाई से कई कंपनियां बनाई गई थीं। जांच में यादव सिंह कागजात पेश नहीं कर पाया गया था।
अकूत संपत्ति मिलने के बाद मनी लांड्रिंग के मामले में प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने भी जांच की थी। बाद में कोर्ट के आदेश पर इसकी सीबीआई जांच हुई, जिसमें यादव सिंह व उनके कई सहयोगियों को गिरफ्तार किया गया। यादव सिंह फिलहाल जेल में बंद है।
सूत्रों ने बताया कि आयकर विभाग ने जांच पूरी कर ली है। करीब 120 करोड़ रुपये की ऐसी संपत्ति पाई गई है, जो काली कमाई से खरीदी गई है। इसे जब्त करने की तैयारी की जा रही है। यादव सिंह के कुछ और सहयोगी हैं, जिन पर भी शीघ्र ही गाज गिर सकती है। मालूम हो कि पिछले दिनों आयकर विभाग ने बसपा सुप्रीमो के भाई आनंद कुमार की भी 400 करोड़ की संपत्ति जब्त की थी।
ईडी कर चुका है कुल 21.5 करोड़ की संपत्ति जब्त
प्रवर्तन निदेशालय ने आय से अधिक संपत्ति और मनी लांड्रिंग मामले में यादव सिंह की एक बार में 89 लाख रुपये की संपत्ति जब्त की थी। जांच एजेंसी ने उसके व परिवार का एक प्लॉट और वाणिज्यिक संपत्ति, कृषि भूमि और बैंक बैलेंस पाया था। इसमें ईडी कुल 21.5 करोड़ रुपये की संपत्ति जब्त कर चुका है। यादव सिंह व उसके परिवार के सभी सदस्यों की संपत्ति की सीबीआई ने जांच की थी, इससे ज्ञात आय के स्रोत से 512.66 प्रतिशत ज्यादा संपत्ति मिली थी।