राजनीति

यूपी-100 पर‌ियोजना लॉन्च, 20 म‌िनट में मदद के ल‌िए पहुंचेगी पुल‌िस

19_11_2016-akhilesh7592मुख्यमंत्री अखिलेश यादव की महत्वकांक्षी योजना यूपी 100 सेवा आज से काम करना शुरू कर देगी। यह सेवा प्रारंभिक तौर पर उत्तर प्रदेश के 11 शहरों में लागू की जाएगी।

लखनऊ (जेएनएन)। मुख्यमंत्री अखिलेश यादव आज अपने महत्वकांक्षी प्रोजेक्ट ‘यूपी 100 सेवा’ जिसे का उद्घाटन किया। मुख्यमंत्री अखिलेश यादव की महत्वकांक्षी योजना यूपी 100 सेवा ने आज से काम करना शुरू कर दिया। यह सेवा प्रारंभिक तौर पर उत्तर प्रदेश के 11 शहरों में लागू की गयी है। 15 दिसम्बर से पहले पूरे प्रदेश में लांच होगी ‘यूपी 100 सेवा’। मुख्यमंत्री की इस योजना से उत्तर प्रदेश पुलिस पूरे देश में सबसे हाईटेक पुलिस हो जाएगी। गौरतलब है कि, यूपी 100 परियोजना का कण्ट्रोल सेंटर भी हाईटेक सुविधाओं से लैस है।

यूपी 100 सेवा अमेरिका की 911 सर्विस की तरह काम करेगी। योजना में अपराध और शिकायत की जानकारी को घटनास्थल पर ही दर्ज किया जायेगा। यह योजना उत्तर प्रदेश पुलिस के समकक्ष काम करेगी। योजना के सही क्रियान्वयन से प्रदेश में बढ़ते अपराध और अपराधिक तत्वों में कमी लाई जा सकती है।

जनता की सुरक्षा के लिए बनी इस योजना में एक रुपये प्रति व्यक्ति एक माह का खर्च है। इसके अत्याधुनिक कॉल सेंटर में 200 लोगों के बैठने और एक लाख कॉल प्रतिदिन तक रिसीव करने की व्यवस्था की गई है। एक बार में 600 फोन लाइन काम करेगी। आने वाले समय में प्रतिदिन कॉलों की संख्या दो लाख हो जाएगी। यह इंटीग्रेटेड कॉल सेंटर देश का सबसे आधुनिक सेंटर है।

पहले चरण में यह योजना10 जिलों में लॉन्च होनी थी, लेकिन ऐन मौके पर रामपुर भी इसमें जुड़ गया है। रामपुर नगर विकास एवं अल्पसंख्यक कल्याण मंत्री आजम खां का क्षेत्र है। इसलिए बड़े जिलों के साथ ही इस छोटे जिले का भी नाम जोड़ दिया गया है। बाकी 10 जिले लखनऊ, कानपुर, इलाहाबाद, मेरठ, आगरा, वाराणसी, बरेली, गोरखपुर, मुरादाबाद व झांसी हैं।

शहीद पथ पर हवाई अड्डे की तरफ से गोमतीनगर विस्तार क्षेत्र में गुजरते हुए बायीं ओर ‘यूपी-100’ का भवन साफ दिखता है। बरबस ही निगाहें उठ जाती हैं। आपदा में फंसे लोगों के लिए यह भवन उम्मीद की किरण है। 19 दिसंब,र 2015 को मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने इसकी आधारशिला रखी थी और शनिवार, 19 नवंबर, 2016 को वह इसका उद्घाटन करेंगे। प्रमुख सचिव गृह देबाशीष पंडा, डीजीपी जावीद अहमद, गृह विभाग के सलाहकार वेंकट चंगावल्ली, एडीजी यातायात अनिल अग्रवाल, एडीजी कानून-व्यवस्था दलजीत सिंह चौधरी समेत कई प्रमुख अधिकारियों ने शुक्रवार को पत्रकारों को पुलिस इमरजेंसी मैनेजमेंट सिस्टम (पीइएमएस) वाले यूपी 100 मुख्यालय और उसकी खूबियों से परिचित कराया। पंडा ने बताया कि 15 दिसंबर तक यह परियोजना सभी जिलों में लागू हो जाएगी। शनिवार को पहले चरण में यह लखनऊ, कानपुर, आगरा, इलाहाबाद, बरेली, गोरखपुर, मुरादाबाद, रामपुर, झांसी, मेरठ और वाराणसी से शुरू होगी। शनिवार को मुख्यमंत्री सुबह साढ़े दस बजे इसे जनता को समर्पित करेंगे। पंडा ने बताया कि लोग यूपी-100 पर न केवल मोबाइल या फोन काल के माध्यम से बल्कि ईमेल, सोशल मीडिया के जरिए भी अपनी पीड़ा बता सकेंगे।

एंबुलेंस, फायर ब्रिगेड से भी जुड़ेगा
यूपी-100 फिलहाल पुलिस के लिए है लेकिन आगे इसे बहुआयामी बनाया जाएगा। इसे एंबुलेंस की 108 सेवा और फायर ब्रिगेड से भी जोड़ा जाएगा। यूपी-100 कॉल सेंटर नहीं बल्कि एक संपर्क केंद्र होगा। अधिकारियों ने इसे दुनिया की सबसे आधुनिक तकनीक होने का दावा करते हुए कहा कि विश्व की बाकी सेवाएं शहर आधारित हैं लेकिन इसका लाभ सुदूर ग्रामीण क्षेत्रों को भी मिलेगा।

प्रतिदिन दो लाख कॉल
वेंकट चंगावल्ली और अनिल अग्रवाल ने बताया कि संवाद कक्ष में पीडि़त की कॉल सीधे आयेगी। संवाद अधिकारी यह कॉल संपे्रषण कक्ष में डिस्पैच करेंगी। व्यवस्था ऐसी की गयी है कि प्रतिदिन दो लाख लोगों की कॉल सुनी जा सके। संप्रेषण कक्ष में तैनात पुलिस अफसर कॉल को सुनते ही अधिकतम दो मिनट में घटनास्थल का लोकेशन चिन्हित कर वहां सबसे करीब मौजूदा यूपी-100 के वाहन को घटनास्थल पर रवाना कर देंगे। नगर क्षेत्र में 15 और देहात में फिलहाल 20 मिनट का लक्ष्य रखा गया है। आने वाली काल के जरिए डाटा रिकार्ड भी होगा और इसकी समीक्षा हिंदू और इस्लामिक कैलेंडर के जरिए भी की जाएगी। नागरिक अपने साथ हुई घटनाओं का वीडियो और तस्वीरें भी यूपी-100 की वेबसाइट पर अपलोड कर सकते हैं।

22 का आंकड़ा और यूपी-100
चंगावल्ली ने एक अध्ययन के आधार पर बताया कि एक लाख कॉल में आठ हजार कॉल ऐसी आएंगी जिनमें त्वरित एक्शन की जरूरत होगी। मुख्यमंत्री की पहल पर 22 माह पहले उन्होंने यह परियोजना शुरू की और इसमें 22 सौ करोड़ रुपये की लागत आयी। एक वर्ष में 22 करोड़ जनता के लिए 22 करोड़ किलोमीटर वाहनों के चलने का लक्ष्य रखा गया है।

विकल्प के तौर पर दो उपकेंद्र
राजधानी में केंद्रित यूपी-100 के दो उपकेंद्र भी होंगे। यह इलाहाबाद और नोएडा में होंगे। अगर किसी वजह से राजधानी में संपर्क टूट गया तो दोनों उपकेंद्रों पर कॉल रिसीव की जाएगी। गाजियाबाद, कानपुर, इलाहाबाद और लखनऊ में पूर्व में बनाये गये माडर्न कंट्रोल रूम को बाद में सहयोग के लिए प्रयोग किया जाएगा। यूपी-100 के लिए 600 टेलीफोन लाइन काम करेंगी।

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