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यूपी के अनुदानित कॉलेजों में बीएड प्रवेश पर मुश्किल

govt-jobs-in-vyapam-56b04c8e79181_exlstदस्तक टाइम्स एजेन्सी/
सूबे के 112 अनुदानित कॉलेजों की करीब 1100 बीएड की सीटों पर आगामी सत्र में प्रवेश मुश्किल है। नेशनल काउंसिल फॉर टीचर्स एजुकेशन (एनसीटीई) ने सत्र 2015-17 से बीएड को दो साल का करने के साथ शिक्षकों की संख्या के मानक बदले हैं। लेकिन आगामी सत्र के मद्देनजर अभी तक मानक के अनुसार शिक्षकों की नियुक्ति प्रक्रिया शुरू नहीं हुई है।

ऐसे में सत्र 2016-18 में कोई भी अनुदानित कॉलेज अपने यहां बीएड में प्रवेश नहीं ले सकेंगे। यदि समय रहते मानक पूरे न हुए तो बीएड प्रवेश की तैयारी कर रहे अभ्यर्थियों को झटका लगेगा। अनुदानित के स्थान पर इन्हें सेल्फ फाइनेंस कॉलेज में प्रवेश लेकर भारी फीस देनी होगी। आगामी सत्र के लिए बीएड की राज्य स्तरीय संयुक्त प्रवेश परीक्षा के ऑनलाइन आवेदन फॉर्म 10 फरवरी से भरे जाने हैं। प्रवेश परीक्षा 22 अप्रैल को होगी।

50 सीट प्रति सेक्शन के अनुरूप शिक्षक नहीं

2015 में एनसीटीई ने बीएड को दो साल का किया। बीएड की सीटों पर सक्शन में भी परिवर्तन किया गया। पहले कॉलेजों में एक सेक्शन पर आठ शिक्षकों का मानक था। इसमें 60 से 100 सीटों तक पर प्रवेश दिया जाता था। लेकिन कोर्स दो साल करने के बाद 50 सीट का सेक्शन कर दिया गया। अब प्रत्येक सेक्शन पर सात शिक्षकों का मानक है। 2015 में जब कॉलेजों ने बताया कि उसी वर्ष नए मानक पूरे करना संभव नहीं तो उनको एक सत्र की राहत दी गई।

हालांकि इसके लिए कॉलेजों से एफिडेविट लिए गए, लेकिन अब जबकि आगामी सत्र की प्रवेश परीक्षा की तिथि घोषित हुई है तो अनुदानित कॉलेजों के सामने मुश्किल की स्थिति आ गई है। कोर्स दो साल का होने की वजह से पहले के स्टूडेंट्स पढ़ रहे हैं जबकि आगामी सत्र का प्रवेश भी उतनी ही सीटों पर होना है। कॉलेजों को जहां 14 शिक्षकों की जरूरत है वहां केवल आठ ही शिक्षक हैं।

सूबे में 112 अनुदानित कॉलेजों में बीएड की करीब 1100 सीटें हैं, लेकिन अब इन सीटों पर प्रवेश नहीं हो सकता। इनमें छात्रों को जहां 7-8 हजार रुपये फीस देनी होती है वहीं सेल्फ फाइनेंस कॉलेजों में 50 हजार रुपये से अधिक शुल्क देना पड़ेगा। ऐसे में छात्रों के सामने दो ही विकल्प रह जाएंगे, या तो वह सेल्फ फाइनेंस कॉलेजों में प्रवेश लें या बीएड की चाह छोड़ दें।

समय पर पूरी होगी प्रक्रिया
इस पर उच्च शिक्षा के प्रमुख सचिव जितेंद्र कुमार का कहना है कि चयन बोर्ड के गठन की प्रक्रिया जल्द पूरी करने का प्रयास है। उसके बाद शिक्षकों की नियुक्ति हो सकती है। हमारा प्रयास है कि समय से सभी प्रक्रिया पूरी की जाए।

पता नहीं कैसे लेंगे प्रवेश

लखनऊ विवि संबद्घ कॉलेज प्राचार्य परिषद व सचिव उप्र प्राचार्य परिषद के अध्यक्ष डॉ. एसडी शर्मा का कहना है कि एनसीटीई के मानक पूरा किए बिना प्रवेश नहीं लिया जा सकता। फिलहाल हमें भी नहीं पता कि आगामी सत्र में कैसे प्रवेश लेंगे। अनुदानित कॉलेज के अनुसार फीस लेकर यह भी संभव नहीं कि हम सेल्फ फाइनेंस के तहत शिक्षक रखकर पढ़वाएं। हम इस विषय में शासन को पत्र लिखेंगे।

अनुदानित कॉलेजों में शिक्षकों की नियुक्ति उच्चतर शिक्षा सेवा आयोग से की जाती है। वर्तमान में इस आयोग में सदस्य ही पूरे नहीं है। इसकी वजह से नियुक्ति भी नहीं हो सकती। वर्तमान में जो स्थितियां चल रही हैं उनमें आगामी सत्र शुरू होने से पहले नियुक्ति होना बहुत मुश्किल है। सेल्फ फाइनेंस कॉलेजों की बात करें तो वह अपने स्तर पर ही नियुक्ति करके मानक पूरे कर लेंगे।

मानक पूरे होने पर दिया जाएगा प्रवेश

लखनऊ विश्वविद्यालय (बीएड सत्र 2016-18 आयोजक विवि) के कुलपति डॉ. एके मिश्रा के अनुसार, बतौर बीएड प्रवेश परीक्षा के आयोजक विश्वविद्यालय के अधिकारी के रूप में इतना ही कह सकते हैं कि प्रदेश के विभिन्न विश्वविद्यालय के कुलसचिव अपने यहां से जितनी सीटों का ब्यौरा भेजेंगे उतने पर काउंसलिंग से प्रवेश दिया जाएगा। वहीं, लखनऊ विवि के कुलसचिव के तौर पर हम अपने से संबद्घ कॉलेजों में मानकों को खुद देखेंगे। यदि मानक पूरे न हुए तो प्रवेश नहीं दिया जाएगा।
वहीं, नवयुग कन्या महाविद्यालय की प्राचार्या नीरजा गुप्ता कहती हैं कि हमारे यहां पहले ही नौ में से केवल चार शिक्षक हैं। कॉन्ट्रेक्ट के आधार पर नियुक्ति करके पढ़ाई हो रही है।

अब सेक्शन बढ़ने पर कॉन्ट्रेक्ट पर और शिक्षक रखना और फीस अनुदानित के अनुसार लेना संभव नहीं दिखता। इस बारे में कॉलेज प्रबंधन से वार्ता की जाएगी। हमने मानकों के संबंध में 2015 में भी विश्वविद्यालय को पत्र लिखा था।

जल्द मानक पूरे करने होंगे
लुआक्टा के पूर्व अध्यक्ष डॉ. मौलिंदू मिश्रा का कहना है कि 2007 में आखिरी बार आयोग ने 551 पदों पर भर्ती का विज्ञापन जारी कर प्रक्रिया पूरी की। उसके बाद नौ साल में दो बार विज्ञापन तो हुआ, लेकिन नियुक्ति नहीं। मानकों का पालन अनिवार्य है।

सरकार को जल्द से जल्द ऐसे अध्यक्ष और सदस्य की नियुक्ति करनी होगी जिन्हें अधिनियम, परिनियमावली, अध्यादेश और शासनादेश का ज्ञान हो। इसके बाद जल्द मानक पूरे करने होंगे। 

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