यूपी के नेता पेश कर रहे हैं, गालियों की ‘राज’ लीला !
लखनऊ: यूपी की राजनीति इन दिनों गालियों में उलझी हुई है. बीजेपी ने भले ही अपने उपाध्यक्ष रहे दयाशंकर सिंह को पार्टी से निकाल दिया, लेकिन पार्टी ने साफ किया है वो d उनके परिवार के साथ है. आज बीजेपी राज्य भर में प्रदर्शन करेगी. कल दयाशंकर सिंह के परिवार ने मायावती सहित पार्टी के महासचिव नसीमुद्दीन सिद्दीकी और बीएसपी के कुछ नेताओं पर केस दर्ज कराया.
बीते चार दिनों से देश के सबसे बड़े प्रदेश की राजनीति गालियों के बीच घूम रही है. इस पूरे विवाद के इतिहास भूगोल को समझने से पहले आपको बताते हैं कि आज गालियों की इस राज लीला में क्या होने जा रहा है.
इस गाली कांड की शुरुआत 19 जुलाई से हुई थी. उस दिन लखनऊ से बलिया जाने के दौरान मऊ में बीजेपी के तत्कालीन उपाध्यक्ष दयाशंकर सिंह ने मायावती को लेकर अपशब्द का इस्तेमाल किया. जवाब में सड़क पर उतरे बीएसपी के कार्यकर्ताओं ने गाली का जवाब गाली से देना शुरू दिया.
नतीजा हुआ कि जिस गाली का विरोध करने मायावती के कार्यकर्ता सड़क पर उतरे थे उस गाली के फेर में खुद मायावती ही फंस गई. दयाशंकर सिंह की पत्नी स्वाति सिंह ने आरोप लगाया कि बीएसपी वालों की गाली से उनकी 12 साल की बेटी बीमार हो गई है. इसके बाद कल लखनऊ में दयाशंकर के परिवार ने मायावती और उनकी पार्टी के नेताओं के खिलाफ केस दर्ज करा दिया.
जिन धाराओं में दोनों तरफ से केस दर्ज हुआ है उससे क्या हो सकता है.
आईपीसी की धारा 153A यानी कटुता बढ़ाने वाला बयान. इसमें सजा 2 साल तक की होती है.
धारा 504 यानी गाली गलौज करना इसमें भी 2 साल तक की सजा है.
धारा 509 यानी लोगों की भावनाओं को ठेस पहुंचाना. इसमें भी दो साल तक की सजा है. और ये तीनों जमानती धाराएं हैं.
इससे पहले मायावती की पार्टी के नेताओं ने दयाशंकर सिंह के खिलाफ भी इन्हीं धाराओं में केस दर्ज कराया था. बीजेपी से निकाले गए दयाशंकर सिंह की तलाश में पुलिस तीन दिन से यहां वहां छापेमारी कर रही है. लेकिन अब पूरा मामला 360 डिग्री पर घूम चुका है. बीजेपी अब मांग कर रही है कि मायावती उऩ नसीमुद्दीन सिद्दीकी पर कार्रवाई करें, जिनकी मौजूदगी में दयाशंकर की बेटी के बारे में अपशब्द कहे गए.
असल में गालियों की इस राज लीला के पीछे सम्मान के साथ साथ वोट बैंक का गणित भी है. मायावती जिस दलित वोट बैंक के सहारे राजनीति करती आई हैं उस दलित वोट में सेंध लगाकर बीजेपी लखनऊ की लड़ाई जीतने की तैयारी कर रही है. लेकिन गाली कांड ने मायावती को बीजेपी पर हमले का बड़ा हथियार दे दिया और इसी बहाने मायावती के कार्यकर्ता चार्ज हो गये.
यूपी में करीब 22 फीसदी दलित वोट है. जिसमें से 10 से 12 फीसदी जाटव वोट पर मायावती की पकड़ है. दलितों में मजबूत पासी की आबादी करीब 3 फीसदी और 2 फीसदी राजभर पर बीजेपी की नजर है.
लोकसभा चुनाव में दलितों का बड़ा हिस्सा बीजेपी के साथ था. अब विधानसभा में भी ऐसा न हो इसी रणनीति के तहत बीएसपी ने अपने कार्यकर्ताओं को उग्र किया और सड़कों पर उतारा.
अब बीजेपी की रणनीति भी समझ लीजिए. सवर्णों में मजबूत राजपूत जाति की आबादी करीब 7 से 9 फीसदी है. 2012 में बीजेपी को 29 फीसदी राजपूतों का वोट मिला था. जबकि समाजवादी पार्टी को 26 फीसदी. अभी यूपी से राजपूत जाति के 14 सांसद हैं जबकि 78 विधायक हैं.
राजपूत वोट के बिना बीजेपी लखनऊ की सत्ता में लौट नहीं सकती है. दयाशंकर सिंह पर कार्रवाई के बाद बीजेपी दुविधा में है और यही वजह है कि पार्टी ने भले ही दयाशंकर को बाहर का रास्ता दिखा दिया है, लेकिन परिवार के साथ खड़ी हो गई है.
इतना ही नहीं गालियों की इस राजलीला पर पीएम ने भी गोरखपुर में चुप्पी साधे रखी. बीजेपी और बीएसपी में संघर्ष चल रहा है तो कांग्रेस और समाजवादी पार्टी दर्शकों के बीच बैठकर इस पूरी फिल्म को बारीकी से देख रही है.