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यूपी विधानसभा मे बजट सत्र हंगामेदार रहा

congress-568e959cee53a_exlstदस्तक टाइम्स एजेन्सी/ विधानमंडल का शुक्रवार से शुरू हुआ बजट सत्र हंगामेदार रहा। बजट सत्र शुरू होते ही विपक्ष के विधायकों ने विधानसभा में पोस्टर और बैनर लहराने शुरू कर दिया। बसपा, आरएलडी और कॉग्रेंस के विधायकों ने बजट सत्र का पोस्टर और बैनर लहराकर प्रदर्शन किया। विपक्ष के हंगामे के बाद 7 फरवरी तक के लिए सदन स्‍थगित कर दिया गया है। अब 8 फरवरी 2016 से विधानसभा का सत्र शुरू होगा।

विपक्ष के तेवरों का बृहस्पतिवार को ही साफ संकेत मिल गए थे। बसपा विधानमंडल दल की बैठक में सरकार को कानून-व्यवस्था पर पूरी तरह घेरने का फैसला किया गया था। एक दिन पहले ही बसपा सुप्रीमों ने लखनऊ में अपनी बैठक की थी।

भाजपा विधानमंडल दल की बैठक में सदन में शालीन व्यवहार का तो फैसला हुआ लेकिन यह भी तय हुआ कि बुंदेलखंड के दर्द और कानून-व्यवस्था पर सरकार के साथ कोई रियायत नहीं की जाएगी।

बसपा ने विधानमंडल का सत्र शुरू होते ही कानून व्यवस्था का मुद्दा जोर शोर से उठाया गया। बसपा विधानमंडल दल की बैठक में कानून व्यवस्था पर सरकार को सदन के अंदर घेरने का फैसला किया गया है।

साथ ही गन्ना किसानों का मुद्दा भी जोरशोर से उठाने का निर्णय हुआ। मायावती की मौजूदगी में बैठक में तय हुआ था कि पार्टी के सदस्य दोनों सदनों में सपा सरकार को घेरने की तैयारी के साथ पहुंचेंगे।

मायावती ने विधायकों से कहा, सूबे की कानून व्यवस्था से जनता त्रस्त है। जनता के साथ इस सरकार ने केवल धोखा ही किया है। सरकार केवल ख्याली पुलाव पकाती है। सरकार पांचवां बजट पेश करने जा रही है लेकिन अब भी उसके वादे अधूरे हैं। दलितों के साथ सरकार छल कर रही है। बैठक में स्वामी प्रसाद मौर्य व नसीमुद्दीन सिद्दीकी सहित पार्टी के सभी विधायक शामिल थे।

वहीं बुंदेलखंड के मुद्दे पर भाजपा का तेवर आक्रामक रहा। कानून-व्यवस्था, लोकायुक्त नियुक्ति प्रकरण, भ्रष्टाचार, बिजली-पानी की आपूर्ति समेत कई अन्य मुद्दों पर भी भाजपा सरकार को घेरने की तैयारी के साथ पहुंचे।

बृहस्पतिवार को भाजपा विधानमंडल दल की बैठक में तय हुआ कि राज्यपाल के अभिभाषण के दौरान शालीन व्यवहार रखा जाएगा। पर, सरकार की नीतियों का विरोध करने में कोताही नहीं होगी।

बैठक के बाद भाजपा विधानमंडल दल के नेता सुरेश खन्ना व विधान परिषद में नेता हृदयनारायण दीक्षित ने पत्रकारों को बताया कि राज्य में घोर अराजकता है।

कानून-व्यवस्था ध्वस्त है। बुन्देलखंड में अकाल जैसी स्थिति है लोग तालाबों का पानी पीने को मजबूर हैं। केंद्र ने सूखा प्रभावितों के लिए उप्र को 1304.52 करोड़ रुपये की मदद तो दी, लेकिन वह पीड़ित जनता तक नहीं पहुंची। इसी प्रकार महिलाओं का उत्पीड़न और अपराध बढ़े हैं।

किसान वर्ष की घोषणा छलावा साबित हुई है। सदन के सत्रों की संख्या घटती जा रही है। सरकार राज्य की मूलभूत समस्याओं पर बहस से भाग रही है। संवैधानिक व्यवस्था का पालन नहीं करती। लोकायुक्त की नियुक्ति में धांधली स्पष्ट हो चुकी है। नौकरियां बिक रही हैं। बिजली- पानी की आपूर्ति व्यवस्था ध्वस्त है।

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