ये महिला जासूस मर्दों को रिझाने में माहिर थी
जासूसी का जब भी नाम आता है तब सबके ज़हन में शेरलॉक हॉम्स, ब्योमकेश बख्शी, करम चंद जैसे जासूसों की तस्वीर आ जाती है, लेकिन ऐसा नहीं है कि जासूसी पूरी तरह से पुरुषों के लिए ही बना प्रोफेशन है। महिलाओं ने भी जासूसी से पूरी दुनिया से अपना लोहा मानने पर मजबूर किया है। महिला जासूसों की रोमांचक और हैरान कर देने वाली सच्ची कहानियों में इस बार बात कर रहे हैं उस महिला जासूस की जिसको जर्मनी के लिए जासूसी करने के आरोप में मौत की सजा दी गई थी।
पूरी दुनिया में महिला जासूसों की चर्चा होते ही ‘माता हारी’ का नाम सबसे पहले आता है। 1876 में नीदरलैंड में जन्मी माता हारी का असली नाम गेरत्रुद मार्गरेट जेले था। हिटलर के लिए जासूसी करने के आरोप में जान गंवाने वाली यह महिला सिर्फ़ एक जासूस ही नहीं थी बल्कि एक बेहतरीन डांसर भी थी, जो इसका पेशा था। यह भी कहा जाता है कि माता हारी बनने के लिए सिर्फ़ खूबसूरती ही आवश्यक नहीं है। उनके बारे में कहावत है कि वैसा बना नहीं जा सकता, सिर्फ़ पैदा ही हुआ जा सकता है।
जेले को अपने जिस्म की नुमाइश के लिए मजबूर होना पड़ा था। वह अपने पति को छोड़ चुकी थी, जो नीदरलैंड की शाही सेना में अधिकारी था और इंडोनेशिया में तैनात था, लेकिन वह अव्वल दर्जे का शराबी था। जेले ने भारतीय कामकला के रहस्यपूर्ण अर्थों को समझा (तभी उसे माता हारी का नाम मिला) और उसके इस नए अवतार का जादू लोगों के दिलो-दिमाग पर छा गया।
भारतीय नृत्य कला में भी वह पारंगत थी, लेकिन उसका असली पेशा डांस करना नहीं बल्कि अपने शरीर और कामुक अदाओं से बड़े लोगों की जासूसी करना था। जेले खुद को इग्जॉटिक डांसर कहती थी। कई देशों के शीर्ष सेना अधिकारियों, मंत्रियों, राजशाही के सदस्यों से उसके नज़दीकी रिश्ते थे और वह फ्रांस एवं जर्मनी दोनों की डबल एजेंट थी (ऐसा माना जाता था)।
अपने जलवों के लिए मशहूर माता हारी 1905 में जर्मनी के लिए फ्रांस की जासूसी करने पेरिस पहुंची थी। नृत्य में खास अंदाज़ की वजह से उन्हें बहुत जल्दी लोकप्रियता मिली। शायद उनका डांस ही था जिसकी वजह से वह लोगों के बीच फेमस होती चली गईं।
इसके बाद डांस की प्रस्तुतियों के लिए ही वह पूरे यूरोप में काफी यात्राएं करने लगी। माता हारी के नृत्य के लोग कायल हो चुके थे। पहले विश्व युद्ध के समय तक वह एक डांसर और स्ट्रिपर के रूप में मशहूर हो गई थीं। उनका कार्यक्रम देखने कई देशों के लोग और सेना के बड़े अधिकारी पहुंचा करते थे। इसी मेलजोल के दौरान गुप्त जानकारियां एक से दूसरे पक्ष को देने का सिलसिला चलने लगा।
ऐसा माना जाता है कि माता हारी हिटलर और फ्रांस दोनों के लिए जासूसी किया करती थीं। हालांकि उनकी मौत के बहुत बाद सत्तर के दशक में जब जर्मनी के गोपनीय दस्तावेज बाहर आए तो इस बात से पर्दा उठ गया कि वह जर्मनी के लिए ही जासूसी करती थी। जासूसी के आरोप में उन्हें वर्ष 1917 में फ्रांस में गिरफ्तार कर लिया गया था। हालांकि जब तक उन पर मुकदमा चला तब तक उन्होंने कभी नहीं माना कि वे एक जासूस हैं। वे लगातार इस बात का विरोध करती रहीं। उन्होंने कोर्ट में कहा था कि मैं सिर्फ़ एक डांसर हूं, इसके अलावा और कुछ भी नहीं। लेकिन मुकदमे में उन पर गुप्त जानकारी दुश्मन पक्ष को देने का आरोप सिद्ध हुआ। सज़ा के तौर पर आंखों पर पट्टी बांध कर उन्हें गोली मार दी गई।