अद्धयात्म

ये है भगवान शिव की रहस्यमयी गुफा जहाँ से कोई नहीं लौटा आजतक वापस, जानिए क्या है रहस्य

जम्मू से कुछ ही दूर स्थित रयासी जिले में भगवान शिव का घर कही जाने वाली गुफा मौजूद है जिसका नाम “शिव खोड़ी” है. ऐसा माना जाता है कि इस गुफा में साक्षात भगवान शिव विराजमान हैं और जो भी इस गुफा के दर्शन करके आगे बढ़ता है वो वापस लौटकर नहीं आता. ये गुफा शिव जी के प्रमुख पूजनीय स्थलों में से एक है. भोलेनाथ की यह पवित्र गुफा करीब 150 मीटर लंबी है. आइये जानते हैं क्या है ऐसा इस गुफा में जो इसके दर्शन के बाद लोग वापस लौटकर नहीं आ पाते.

भगवान शिव की इस गुफा में 4 फीट ऊँचा शिवलिंग विराजित है जिस पर हर समय पवित्र जल की धारा प्राकृतिक तौर से गिरती रहती है. गुफा में माँ पार्वती, शिव जी के पुत्र गणेश और कार्तिकेय पिण्डियों के रूप में विराजमान हैं. स्थानीय लोगों का कहना है कि जो भी इस शिवलिंग और इन पिण्डियों के दर्शन करके आगे बढ़ जाता है तो वो कभी वापस लौटकर नहीं आता. कहते हैं कि इस गुफा का अंतिम छोर नहीं दिखाई देता. यह गुफा अंदर से दो हिस्सों में बटी हुई है जिसके एक छोर अमरनाथ गुफा की ओर है तो दूसरे छोर के अंत की किसी को कोई जानकारी नहीं है.

एेसी है मान्यता है कि खुद गुफा बनाकर उसमें छिपे थे शिवजी…
पौराणिक कथाओं के अनुसार भस्मासुर ने भगवान शिव को घोर तप से खुश किया था जिसके बाद भस्मासुर ने शिव जी से वरदान माँगा कि वह जिस किसी के भी सिर पर हाथ रखें वो उसी समय भस्म हो जाये. भगवान शिव ने भस्मासुर की तपस्या से प्रसन्न होकर उसे ये वरदान दे दिया और जैसे ही शिव जी ने भस्मासुर को वरदान दिया वो शिव जी को भस्म करने के लिए उनके पीछे दौड़ पड़ा. शिव जी को भस्मासुर से बचने के लिए उससे युद्ध करना पड़ा था. युद्ध के समय भस्मासुर हार मानने को तैयार ही नहीं था.

शिव जी भस्मासुर को मार नहीं सकते थे क्योंकि उन्होंने खुद भस्मासुर को वरदान दिया था.भगवान शिव ने राक्षस भस्मासुर से बचने के लिए पहाड़ों में ऐसी जगह तलाशी जहाँ भस्मासुर उन्हें ढूँढ ना पाए. शिव जी ने भस्मासुर से छुपने के लिए पहाड़ों में गुफा बनाई. ये गुफा ही शिव खोड़ी गुफा कहलाती है. भगवान शिव को भस्मासुर से बचाने के लिए भगवान विष्णु ने उनकी रक्षा की थी.

ऐसे की थी भगवान विष्णु ने भस्मासुर से शिव जी की रक्षा…
जब भगवान विष्णु ने शिव जी को गुफा में छिपा देखा तो उन्होंने भस्मासुर को रिझाने के लिए मोहिनी रूप धारण कर लिया और भस्मासुर के करीब चले गए. भस्मासुर मोहिनी का रूप देखकर सबकुछ भूल गया और मोहिनी की खूबसूरती में मग्न होकर उसके साथ नृत्य करने लगा. नृत्य करते समय भस्मासुर ने अपने सिर पर खुद हाथ रख लिया और वो उसी समय भस्म हो गया. इस तरह भगवान विष्णु ने शिव जी की भस्मासुर से रक्षा की थी. इसके बाद शिवजी गुफा से बाहर आये थे.

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