योग की मदद से कर सकते हैं इंसोमेनिया जैसी बीमारी का खात्मा
क्या आपको भी काम करते करते नींद आई हो, लेकिन सो नहीं पा रहें? सोते हुए दिमाग में बहुत सारे विचार आते है? स्वाभाव में भी चिड़चिड़े बनते जा रहें है? अगर आप भी इन दिनों इन सब बातों का अनुभव कर रहें है तो सतर्क हो जाएं।
क्योंकि इन सबका कारण है काम करने कि शैली, जिसमें आप लगातार काम करते रहते है। काम करने कि लत में स्वास्थ्य को बिलकुल ही इग्नोर कर रहें है। कारण इन दिनों कामकाजी वर्ग में इंसोमेनिया नामक बीमारी के केसेज बहुत ताताद में बढ़ रहें है।
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असल में अच्छी नींद नहीं आना ही इस बीमारी कि वजह है। भरपूर नींद नहीं आने कि वजह से ही स्वभाव में चिड़चिड़ापन और हर बात गुस्सा आना शुरू होता है।
भले ही इस परेशानी से बचने के लिए आप नींद कि गोलियां लेते हो, लेकिन इस बात से नहीं मुकरा जा सकता कि इन दवाओं के साईडिफेट भी बहुत सारे होते है। ऐसे में आपकी मदद करता है हमारा पौरााणिक काल से चला आ रहा योग।
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जी हां, इंसोमेनिया में दवाओं से ज्यादा असर योग आसन से होता है। इसलिए आज हम आर्ट आॅफ लिविंग के श्री श्री योग इंस्ट्रेक्टर मंजुनाथ पुजारी कि मदद से जानेगे कि योग कैसे हमें इंसोमेनिया से छुटकारा दिला सकता है और ऐसे कौनसे आसान है जिनसे हमें राहत मिलेगी।
1. चंद्र भेदन प्राणायाम
हमारी नाक का बाया हिस्सा शरीर कि कुलिंग एनर्जी से जुड़ा होता है, जो कि चांद को दर्शाता है। योग कि यह तकनीक बहुत सरल है व शरीर को काफी हद तक शांत करती है।
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विधि
. सबसे पहले स्वास्तिक व पदमाआसन में बैठें।
. फिर हथेली कि ओर मझली व तर्जनी अंगुली को मोड़ें।
. अब दाय अंगुठे को नाक के दायिने हिस्से कि ओर ले जाए, धीरें धीरें गहरी सांस ले जब तक कि फेंफड़े पूरें न भर जाएं।
. अब कुछ सेंकिंड्स के सांस को क्षमता के अनुरूप रोकने कि कोशिश करें।
. फिर धीरे-धीरे नाक कि दायने हिस्से से सांस छोड़ें। ऐसा करीब 10 बार करें।
2. विपरित करनी आसन
इस आसान कि मदद से हार्ट बिट सही चलती है और दिमाग कि नंसे भी सही काम करती है। इस आसन को आप सोने से पहले या फिर शाम को भी कर सकते है।
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विधि
. सबसे पहले दीवार से करीब 6 इंच की दूरी पर चटाई बिछाएं।
. फिर अपने पैरों को दीवार की ओर फैला कर लेट जाएं।
. शरीर के ऊपरी भाग को पीछे की ओर झुकाकर कम्बल पर लेट जाएं।
. इस अवस्था में दोनों पैर दीवार से ऊपर की ओर होने चाहिए।
. बांहों को शरीर से कुछ दूरी पर ज़मीन से लगाकर रखें। इस अवस्था में हथेलियां ऊपर की ओर की होनी चाहिए।
. सांस छोड़ते हुए सिर, गर्दन और मेरूदंड को ज़मीन से लगाएं।
. इस मुद्रा में 5 से 15 मिनट तक बने रहें।
. घुटनों को मोड़ेते हुए दायीं ओर घूम जाएं और फिर सामान्य अवस्था में बैठ जाएं।
3. सेतु बंध आसन
योग का यह आसन बहुत ज्यादा एनर्जी से भरा होता है।
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. पीठ के बल सीधा लेट जाएं, दोनों हाथ शरीर के बगल में सीधे रखें।
. हथेलियों को जमीन पर सटाकर रखें।
. अब दोनों घुटों को मोड़ लें जिससे सिर्फ तलवे ही जमीन से छुएं।
. सांस लेते हुए कमर को ऊपर उठाने की कोशिश करें।
. कोशिश करें कि आपका सीना ठुड्डी को छुए।
. इस दौरान बाजुओं को कोहनी से मोड़ लें और हथेलियों को कमर के नीचे रखकर सपोर्ट दें।
. कुछ क्षण बाद कमर नीचे लाएं और पीठे के बल सीधे लेट जाएं।
4. शलभ आसन
इस आसन के जरिए रीढ़ हड्डी को आराम मिलता है, जिस कारण आप आराम से सो पाते है।
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. सर्वप्रथम पेट के बल लेट जाए।
. दोनों हाथों को अपनी जांघ के नीचे रखिए।
. श्वांस अंदर भरते हुए पहले दाहिने पैर को बिना मोड़े धीरे-धीरे ऊपर की ओर उठाइए।
. कुछ सेकेंड रुककर दाहिने पैर को उसी स्थिति में रखे हुए बायें को दाहिने पैर की तरह ऊपर की ओर उठाइए।
. ध्यान रखिए कि हर स्थिति में आपकी ठोड़ी जमीन से जुड़ी रहनी चाहिए।
. श्वांस छोड़ते हुए पूर्ण स्थिति में आइए।
. ऐसा करीब 30 सेंकिड से 1 मिनट तक करें।
5. उज्जयी आसन
सांस लेना और छोड़ना आराम और एनर्जी पाने के के केस में बहुत महत्व रखते हैं। यहां तक कि योग सुत्रा में भी कहा गया है कि सांस दीघ्र (लम्बी) और सुक्षम (छोटी) होनी चाहिए। सांस लेने कि इस तकनीक में अगर आप माहिर बनना चाहते है तो आर्ट आॅफ लिविंग का इंट्रोटक्ट्री प्रोग्राम आपकी अच्छी मदद कर सकता है।