मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कहा कि जल्द ही प्रदेश में कोटेदारी की व्यवस्था खत्म होगी। सब्सिडी की राशि सीधे लाभार्थियों के खातों में भेजी जाएगी। अगर शासन की योजनाएं ईमानदारी से नीचे तक पहुंचा दी जाएं तो भूख, बीमारी और कुपोषण से कोई नहीं मर सकता। सीएम ने पोषण मिशन के तहत दी जाने वाली सहायता भी डीबीटी के माध्यम से खातों में भेजने पर जोर दिया।
योगी शनिवार को साइंटिफिक कन्वेंशन सेंटर में पोषण अभियान और सुपोषण स्वास्थ्य मेला के शुभारंभ अवसर पर बोल रहे थे। उन्होंने अनाज वितरण की सरकारी व्यवस्था में भ्रष्टाचार पर कहा, उनके सत्ता संभालने के तत्काल बाद 30 लाख फर्जी राशन कार्ड रद्द किए गए। मात्र 13 हजार कोटेदारों के यहां इलेक्ट्रॉनिक पॉइंट ऑफ सेल लगाकर हर साल 350 करोड़ रुपये की बचत की जा रही है। सभी 80 हजार कोटेदारों के यहां इस तकनीक का प्रयोग करने से कम से कम दो हजार करोड़ रुपये की प्रति वर्ष बचत होगी।
सीएम ने कहा, कोटेदारों से कहा जाएगा कि वे कोई दूसरा व्यवसाय कर लें। लाभार्थियों के खातों में सीधे सब्सिडी राशि भेजने की व्यवस्था जल्द लागू की जाएगी। तकनीक का अधिकाधिक प्रयोग करके ऊपर से नीचे स्तर तक का हर तरह का भ्रष्टाचार खत्म किया जा सकता है।
छह विभाग मिलकर चला रहे पोषण अभियान
सीएम ने कहा, सशक्त भारत का रास्ता बेहतर स्वास्थ्य से होकर गुजरता है। इसलिए प्रदेश में छह विभाग मिलकर पोषण अभियान चला रहे हैं। गोरखपुर के बीआरडी मेडिकल कॉलेज के बारे में कहा, जब मैं पहली बार सांसद बना तो वहां की स्थिति बेहद खराब थी। 1998 से लगातार वहां के बारे में संसद में आवाज उठाई। इसके अच्छे परिणाम मिले। 2005-06 आते-आते जापानी इंसेफलाइटिस से निपटने के लिए वैक्सीन लगवाने में सफल हुए।
उन्होंने कहा, पिछले साल भी बीआरडी मेडिकल कॉलेज सुर्खियों में रहा। मीडिया में वहां ऑक्सीजन से बच्चों की मौत की खबरें आईं। उसके दो साल पहले भी ऐसी खबरें आई थीं। तब प्रदेश में दूसरे दल की सरकार थी। मैंने संबंधित रिपोर्टर से बात की तो उसने बताया कि मेडिकल कॉलेज का प्रशासन हमें वार्ड में नहीं जाने देता। इसलिए ऐसी खबर चलाई कि पूरे देश में यह मुद्दा बन जाए।
सीएम ने कहा, पिछले साल ऑक्सीजन की कमी से मौतों की खबर मिलते ही उच्चस्तरीय टीम मौके पर भेजी। अगले दिन मैं भी गया। पता चला कि अगर ऑक्सीजन की कमी से मौतें हुई होतीं तो सबसे पहले वे बच्चे मरते जो वेंटिलेटर पर थे। मेडिकल कॉलेज की आंतरिक राजनीति के कारण नकारात्मक समाचार मीडिया में आए।
इंसेफलाइटिस से मौतों में भारी कमी
सीएम ने कहा कि इंसेफलाइटिस से निपटने के लिए स्वास्थ्य, चिकित्सा शिक्षा, ग्राम्य विकास, पंचायतीराज और महिला एवं बाल कल्याण विभाग मिलकर काम कर रहे हैं। इस बीमारी का मुख्य कारण गंदगी और साफ पेयजल न मिल पाना है। इसलिए सरकार ने गोरखपुर समेत सात सबसे ज्यादा प्रभावित जिलों में शुद्ध पेयजल की व्यवस्था की। अगले चरण में वहां आरओ प्लांट भी लगेंगे। पिछले साल बीआरडी मेडिकल कॉलेज में इंसेफलाइटिस से 200 से ज्यादा मौतें हुई थीं। इस साल ये 10 से भी कम हैं।
खुले बाजार में नहीं बिकने देंगे गरीबों का अनाज
उन्होंने कहा, पोषण मिशन को सफल बनाने के लिए भी संवेदनाएं जगाने की जरूरत है। पहले गरीबों के लिए भेजा जाने वाला खाद्यान्न खुले बाजार में बेच दिया जाता था। हमने ऐसा करने वालों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की। डीएम सस्पेंड किए। अधिकारियों को जेल भिजवाया। हमने यह व्यवस्था लागू की है कि गरीब जिस दुकान से चाहें, वहां से राशन ले लें। राशन कार्डों को आधार से जोड़ा, इससे भ्रष्टाचार पर काफी लगाम लगी है। कहा, पोषण मिशन को भी डीबीटी माध्यम से जोड़ें। लाभार्थियों के खातों में सीधे राशि भेजी जाए। बच्चों के बेहतर स्वास्थ्य के लिए व्यापक जनजागरूकता अभियान चलाने पर भी जोर दिया।
कुपोषण से निपटने को लगाएं सहजन के पेड़
योगी ने कहा, अपने आंगन में एक सहजन का पेड़ लगाकर कुपोषण की समस्या से निपटा जा सकता है। प्रोटीन से भरपूर रागी और मोटे अनाज के उत्पादन पर भी उन्होंने जोर दिया। कहा, बुंदेलखंड में रागी के उत्पादन पर शत-प्रतिशत सब्सिडी दी जा रही है। प्रदेश में अभी तक डेढ़ करोड़ शौचालय बन गए हैं। अगर मौसम की वजह से परेशानी नहीं हुई तो दो अक्तूबर तक यूपी को खुले में शौच मुक्त कर दिया जाएगा।
हर स्तर पर समीक्षा के निर्देश
सीएम ने कहा कि लखनऊ के चार संस्थानों केजीएमयू, पीजीआई और लोहिया संस्थान व अस्पताल को 1600 करोड़ का बजट दिया गया है लेकिन, गांवों में स्थित प्राथमिक व सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्रों को भी मजबूत करने की जरूरत है। सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्रों पर प्रत्येक 15 दिन पर स्वास्थ्य मेले लगने चाहिए। डीएम से लेकर मुख्य सचिव तक को महीने में इन योजनाओं की समीक्षा करने के निर्देश दिए गए हैं। जिले के प्रभारी मंत्री और नोडल अधिकारी को महीने में कम से कम एक बार गांव में रहकर सरकारी योजनाओं की समीक्षा करनी होगी। आयुष्मान योजना में 2.18 करोड़ परिवारों को कार्ड उपलब्ध कराए हैं। शेष को भी जल्द लाभ मिलेगा।