रक्षा मंत्री मोहर पर्रिकर एक खास विमान से शनिवार सुबह तांब्रम एयरबेस पहुंच गए हैं. चेन्नई से पोर्ट ब्लेयर के लिए रवाना हुए एयरफोर्स के एक विमान AN-32 लापता होने के बाद वह अधिकारियों के साथ जरूरी बैठक के अलावा हालात की खुद निगरानी कर रहे हैं.
सर्च और रेस्क्यू के लिए नेवी के स्पेशलाइज्ड शिप आईएनएस इनवेस्टिगेटर की मदद ली जा रही है. पोर्ट ब्लेयर से रवाना इस शिप के जरिए हाइड्रोग्राफिक चार्ट और मैप्स के साथ ही पानी के अंदर काफी बारीकी से खोज जारी है.
जानकारी के मुताबिक शुक्रवार सुबह करीब 9 बजे से लापता इस विमान में 29 लोग सवार थे. इनमें 6 क्रू मेंबर भी शामिल हैं. पर्रिकर ने बताया है कि एयरफोर्स, नेवी और कोस्ट गार्ड का सर्च ऑपरेशन जारी है. अभी तक खोजी टीमों को कोई भी सफलता हाथ नहीं लगी है. 13 शिप, 5 विमान और दो सबमरीन लापता विमान को आकाश, पानी और पानी के अंदर हर जगह तलाश रहे हैं.
4 घंटे तक उड़ान लायक ही था फ्यूल
एयरफोर्स अधिकारियों के मुताबिक विमान से आखिरी संपर्क शुक्रवार सुबह 8:46 का है, जबकि रडार पर उसकी आखिरी लोकेशन 9:00 बजे की है. उस वक्त विमान 23 हजार फीट की ऊंचाई पर था. इसके बाद रडार से अचानक संपर्क टूट गया. यह आर्म्ड फोर्सेज के लिए वीकली फ्लाइट है. विमान में 4 घंटे तक उड़ने लायक ही फ्यूल था. पोर्ट ब्लेयर पहुंचने की उसका तय वक्त 11:30 सुबह है. लापता विमान को आखिरी बार पोर्ट ब्लेयर से 129 नॉटिकल मील पर लोकेट किया गया था.
समुद्र प्रहरी के साथ ही डॉर्नियर विमान भी बंगाल की खाड़ी में विमान की खोज में जुट गए हैं. इसके साथ ही कोस्ट गार्ड का खोजी विमान भी सर्च ऑपरेशन में जुट गया है.
पोर्ट ब्लेयर से पहले विमान के लिए लैंडिंग की कोई जगह नहीं
वायुसेना ने लापता विमान की खोज के लिए C130J विमान भी तैनात कर दिया है. चेन्नई और पोर्ट ब्लेयर के बीच कोई एयरस्ट्रिप नहीं नहीं है, लिहाजा विमान कहीं लैंड नहीं कर सकता. हालांकि, अधिकारी अभी विमान के क्रैश को लेकर बातचीत नहीं कर रहे हैं.
विंग कमांडर अनुपम बनर्जी ने कहा, ‘यह एक रूटीन कूरियर फ्लाइट थी. विमान को 11:30 बजे पोर्ट ब्लेयर में लैंड करना था. हमने सर्च ऑपरेशन शुरू किया है. जैसे ही कोई जानकारी मिलेगी, बताया जाएगा.’
पहले कई बार दुर्घटनाग्रस्त हो चुके हैं AN-32 विमान
बताया जाता है कि एएन-32 विमान को पांच सदस्यों के चालक दल उड़ाते हैं. इनमें एक पायलट, एक को-पायलट, गनर, नेविगेटर और इंजीनियर शामिल होते हैं. इसमें जीपीएस सहित मॉर्डन नेविगेशन के तमाम उपकरण लगे होते हैं. हालांकि, पूर्व में इस श्रेणी के विमान कई बार दुर्घटनाग्रस्त हुए हैं.
एनएन-32 विमान में रबर के बोट होते हैं, इनमें हर बोट पर 7 यात्री सवार हो सकते हैं. इसके अलावा उस पर राशन भी होता है. हर रबर बोट में एक लोकेटर बीकन होता है, जो सिग्नल देता है.