रांची बनी अपराध की राजधानी, अक्सर गोलियों की तड़तड़ाहट से गूंजता शहर
रांची . झारखंड राजधानी रांची को किसकी नजर लग गयी है न तो आम लोग समझ पा रहे हैं और न यहां का पुलिस प्रशासन. शहर के हर पॉश इलाके में गोलियों की तड़तड़ाहट कानून व्यवस्था का पोल खोल रही है तो दूसरी तरफ पुलिस का खौफ इन घटनाओं के सामने बौना साबित हो रहा है.
सवाल ये है कि आखिर रांची के लोगों को कब तक अपराधियों के खौफ में जीने पर मजबूर रहना पड़ेगा. कब तक पुलिस के हाथ इन अपराधियों के गिरेबां तक पहुंचेंगे देखते हैं.
हाल के दिनों मे हुई हत्या और गोलीबारी की घटनाएं दिन दहाड़े हुई हैं और पुलिस के पीसीआर वैन की तैनाती के बावजूद ये अपराधी गोलीबारी करते हुए कहां निकल जाते हैं ये पता नहीं चल पाया है.
क्या कहते हैं अपराध के आंकड़े
इस महीने के कुछ महत्वपूर्ण घटनाओं पर अगर नजर डालें तो 14 नवंबर की सुबह पुंदाग ओपी इलाके मे बलराम साहू को चार गोली मारी गई जो अस्पताल में अभी तक भर्ती हैं. 17 नवंबर को सदर इलाके मे वंशी उरांव को गोली मारी गयी जिनकी घटनास्थल पर ही मौत. 17 नवंबर को ही शांति नगर मे एक तेरह साल छात्रा की हत्या कर दी गई जिसके साथ दुष्कर्म की भी आशंका जताई जा रही है.
22 नवंबर को एक फ्लैट मे फायरिंग. 23 नवंबर को मोरहाबादी मैदान के पास अभियंता पर गोलीबारी. बात सोमवार की घटना की करें तो इस घटना के पीछे एक करोड़ रुपये की रंगदारी मांगने की बात सामने आयी है.
पुलिस इस मामले में पड़ताल कर रही है. लेकिन फायदा क्या होगा यदि पुलिस आरोपियों के विरुद्ध मजबूत साक्ष्य नहीं जुटा पाती है तो.